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की पट्ट- परम्परा में उनतालीसवें - चालीसवें आचार्य हुए हैं । अतः हम प्रस्तुत खण्ड में खरतरगच्छ के आदिकालीन अमृत-पुरुषों में आचार्य वर्धमानसूरि को भी सम्मिलित कर रहे हैं। वे मुनि-जीवन की विमलताओं के समर्थक तथा पालक थे ।
अब हम आगामी पृष्ठों में उन आदिकालीन ऐतिहासिक पुरुषों एवं घटनाओं का विवेचन करेंगे, जिनसे खरतरगच्छ निरन्तर समुन्नत एवं गौरवान्वित हुआ । इस श्रृंखला में हम निम्नांकित विशिष्ट २२ व्यक्तियों का व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रस्तुत कर रहे हैं
(१) अमृत-पुरुष आचार्य वर्धमानसूरि
(२) महामहिम क्रान्त-दर्शी आचार्य जिनेश्वरसूरि
(३) महत्तरा कल्याणमति
(४) बुद्धिनिधान आचार्य बुद्धिसागरसूरि (५) महाकवि धनपाल
(६) महाप्रज्ञ आचार्य जिनचन्द्रसूरि
(७) शासन-धन आचार्य धनेश्वरसूरि (८) अमेय मेधा सम्पन्न आचार्य अभयदेवसूरि (६) दिव्य विभूति आचार्य देवभद्रसूरि
(१०) अर्हन्नीति - संयोजक आचार्य जिनवल्लभसूरि (११) विद्वत्-रत्न आचार्य हरिसिंहसूर
(१२) प्रबुद्धचेता गणि रामदेव
(१३) जिनशासन - सेवी पद्मानन्द (१४) सम्मान्य आचार्य अशोकचन्द्रसूरि.. (१५) जगत्पूज्य आचार्य जिनदत्तसूरि (१६) मणिधारी आचार्य जिनचन्द्रसूरि (१७) महावादजयी आचार्य जिनपतिसूरि (१८) महामनीषी उपाध्याय जिनपाल -
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