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एवं महावीर चरित के कर्ता गुणचन्द्र गणि अपर नाम देवभद्रसूरि, संघ पट्टकादि अनेक ग्रन्थों के प्रणेता जिनवल्लभसूरि इत्यादि अनेकानेक बड़े-बड़े धुरन्धर विद्वान और शास्त्रकार जो उस समय उत्पन्न हुए और जिनकी साहित्यिक उपासना से जैन वाङ्गमय-भंडार बहुत कुछ समृद्ध
और सुप्रतिष्ठित बना–इन्हीं जिनेश्वरसूरि के शिष्य-प्रशिष्यों में थे।
१ कथाकोष, प्रस्तावना, पृष्ठ २