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( सिरि भूवलय)
२.वर्गशलाक (अर्ध छेद का अर्धछद०
क्ष का वर्ग शलाक = Vs (क्ष) = Ac {(Ac (क्ष))} =log log (log being to base 2) ३. त्रिक छेद
क्ष का त्रिक छेद = Tc (क्ष) = ३ (log is to base ३) इत्यादि ४. चतुर्थछेद क्ष का चतुर्थछेद = log ४ (क्ष) ( log to base ४ ) इत्यादि अ को यदि एक संख्या माना जाए तो उसका
पहला वर्गित संवर्गित = अ = ब
दसरा वर्गित संवर्गित = ब =ग
तीसरा वर्गित संवर्गित = ग द तब धवळ टीका के अनुसार यह उत्तर प्राप्त होगा १. लॉग ब = अ लॉग अ २. लॉग लॉग ब = लॉग अ + लॉग लॉग अ ३. लॉग ग = ब लॉग ब ४. लॉग लॉग ग = लॉग ब + लॉग लॉग ब लॉग अ + लॉग लॉग अ + अ लॉग अ ५. लॉग द = ग लॉग ग ६. लॉग लॉग द = लॉग ग + लॉग लॉग ग इत्यादि
इस प्रकार अनेक गणित सूक्ष्मों का प्रयोग कर कुमुदेन्दु ने भूवलय में १८ महा भाषाओं को तथा ७०० लघु भाषाओं को, समस्त शास्त्रादिओं को अंकाक्षर के द्वारा बाँध कर कन्नड में अत्यद्भुत ग्रंथ की रचना की, यह कन्नड प्रदेश का गौरव है ।
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