SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 445
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - सिरि भूवलय इसका संयुक्तांक २६१ =९ धवळ ग्रंथ के आधार पर रचित वीरसेन के टीका में भी कुमुदेन्दु के भूवलय में भी जैनों के लिए अलग से अन्य संस्कृत ग्रंथों में दिखाई देने वाले लॉस ऑफ़ इंडिसेस (laws of indices) तथा लॉगरिदम्स (logarithms) का उपयोग किया गया है। I. (laws of indices) अ) मन म + न अ अ = अ मन ब) अ -अ न मन अ = + । उदाहरण स्वरूप (धवळ ३. श्लोक. ५२) २का सातवें वर्ग को २के छठे वर्ग से विभागित किया जाए तो २का छठा वर्ग प्राप्त होगा। लॉगरिदम्स (logarithms) को जैन गणित में छेद कह कर संबोधित किया गया है। पाश्चात्य लॉगरिदम्स (logarithms) पदक तालिका में आधार सी या आधार १० रहने पर भी जैनों में २, ३, ४ के लिए गणित किए अनुसार ही दिखता है। परन्तु इसके आधार में उपरोक्त तालिका के रचेनुसार नहीं दिखाया गया है मात्र सूत्रों और उदाहरणों को दिया गया है। १. अर्धछेद. २ अर्धछेद = म. क्ष का अर्धछेद (Ac) = log x (log being to base 2)
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy