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( सिरि भूवलय -
नवभारत टाइम्स (दिल्ली, ६ दिसम्बर १९५१) भूवलय ग्रंथ रत्न विश्व का ९ वां आश्चर्य
दिल्ली, बुधवार कल रात्री के आठ बजे भा.दि. जैन महासभा कार्यालय मारवाडी कटरा नई सडक दिल्ली में श्री यल्लप्पा शास्त्री जी द्वारा बंगलोर से लाए गए भूवलय सिद्धांत ग्रंथ के आधार पर किए गए अनुसंधान रूप ३१ मानचित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन श्री राघवन जी एस. एस. आर. कामर्स एंड इंडस्ट्रीज़ द्वारा हुआ।
श्री राघवन ने कहा कि यह ग्रंथ बहुत ही आश्चर्य जनक है संसार में नौ आश्चर्य माने गए हैं उन सब से भिन्न यह रिसर्च दसवां आश्चर्य है । यह केवल कर्नाटक अथवा जैन लोगों की चीज़ नहीं है यह तो सारे भारत और विश्व की हितैषी वस्तु है । यह ऐसा ग्रंथ है जो तमिल. कन्नड संस्कृत आदि में मैंने नहीं देखा । व्यास जी का महाभारत एक लाख श्लोक प्रमाण का है किन्तु उससे भी उन्नतशील उससे भी ज्यादा यह ग्रंथ छः लाख श्लोक प्रमाण का है। इस ग्रंथ में पाणिनी जैसे छः हजार ब्रह्म सूत्र हैं टीका छः लाख श्लोक प्रमाण हैं। इस ग्रंथ के आधार पर १८ महा भाषा और ७०० क्षुल्लक (लघु) भाषा हैं इस प्रकार ७१८ भाषाएं हैं भाषा अन्वेषकों को इसकी खोज करनी चाहिए। इस निधि को दुनिया को बताना चाहिए मैंने इसे यूनीस को बताया उन्होंने वायदा किया कि आप मूल प्रति मंगओ हम फोटो लेकर विश्व में इसका प्रचार करेंगे और इस निधि को विश्व को बताएगें । ऐसा यूनेस्को को चीफ़ लाइब्रेरियन श्री रंगनाथन ने मुझसे वायदा किया है।
अनेक व्यक्तियों के द्वारा ग्रंथ का अवलोकन
भा.दि. जैन महा सभा के कार्यालय में भूवलय सिद्धांत के रिसर्च की प्रदर्शनी को देखने के लिए दिन भर सैकडों आदमियों की भीड लगी रही । आने वालों में अनेक पत्रकार और प्रोफेसर थे।
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