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(सिरि भूवलय
नवमांक निश्येष (शेष रहित) गणित पद्धति
इन अंतिम बीस पृथक अंकों को दोषरहित रूप से, एक ही मूल रूप से ६/२ इस प्रकार पहचाना जा सकता है । इन मूल रूपों में स्थूल मान है ही नहीं इस प्रकार ९ संख्या तक स्थोल्ल राशी को संक्षिप्त कर इन बीच के अंकों को द्वराशी एक राशी रूप में बराबर-बराबर पकड कर, त्रयराशी-पंचराशी क्रमानुसार निश्येष गणित पद्धति के अनुसार संख्याओं को गुणन- गणन करने की आवश्यकता है ऐसा सिरि भूवलय विस्तार पूर्वक निरूपित करने के साथ-साथ उदाहरणों के द्वारा समर्थन भी करता है ।
सिरि भूवलय में विस्तार से, प्रामाणिकता से दिखाए गए नवमांक गणित पद्धतिनुसार गणित को निश्येष गणित तालिका में समाहित कर. उस के अनुसार रेडार यंत्र-विमान निरोधक तोपों का उपयोग करें तो प्रत्येक बार सफलता प्राप्त हो सकती है तब बांबर विमानों का उपयोग भी बस-लॉरी से भी अधिक स्थान को अलंकृत करेंगें । । ग्रंथ प्रकटण : कर्मकथा
संपूर्ण सिरि भूवलय में बताए गए सभी गणित परंपरा को मैंने नहीं समझा है यह पुस्तक केवल देख-पढ कर समझने वाली पुस्तक नहीं है।
____धन की चाह रखने वाले प्रकाशक इसे प्रकाशित करने का साहस नहीं कर सकते। उन प्रकाशकों के लायक इस पुस्तक को बनाने की प्रवृति और शक्ति दोनों मुझमें नहीं है।
बेंगलोर में कन्नड साहित्य परिषद से इस पुस्तक के विषय में अनुकूल या प्रतिकूल कुछ भी प्रतिक्रिया या अभिप्राय देने का आग्रह अनेक बार करने पर भी दस वर्षों तक उस संस्था ने मौन साधे रखा ।।
मैसूर विश्व विद्यालय के उपकुलपति श्री कुवेम्पु जी ने अपने अधिकार काल में सिरि भूवलय की प्रशंसा की है ऐसा व्यक्त किया । इस के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार कर्त्तव्य निभाने की बात भी कही परन्तु उनकी कही बात अंत तक बात ही रही ।
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