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सिरि भूवलय
समर भावना
मानव चाहे जितना भी प्रयत्न करें , युद्ध, मार-काट, आदि , आदि काल से ही मानव का स्वभाव बना हुआ है । इस मानव स्वभाव को कोई भी, किसी भी समय काल में नष्ट नहीं कर सका है इतिहास इस बात का गवाह है । ___परन्तु आज मानव जाति के पास उपलब्ध युद्ध साधन अति विनाशकारी है इस बात की चर्चा दुनिया भर में है। यदि आज युद्ध की स्थिति उत्पन्न होती. है या फिर तीसरा महा युद्ध छिडने की संभावना होती है तो संपूर्ण मानव जाति का ही नाश हो जाएगा, यह सर्वविदित है।
किन्तु क्या इसका कोई प्रतिकार नहीं है? या फिर युद्ध साधनों को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है?
इस रीति के युद्ध साधन आखिर क्या है? प्रथम इस बात पर विचार करना चाहिए । इनमें सबसे पहले अणु विस्फोटक एटम बम का नाम लिया जा सकता है । उन एटम बमों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाने वाले युद्ध विमान दूसरे स्थान पर हैं । यही दो साधन आज के युग में अत्यंत विनाशकारी कहे जा सकते हैं ।
आधुनिक समर साधन
अभी तक, स्फोटक आयुधों को “अल्युमिनियं” धूल का प्रयोग करके, गंधक, तथा कुछ प्रकारों के लवणों का प्रयोग करके स्फोटित किया जाता था । इस अल्युमिनियं लोह का अणु “२७” जलकण में रहने वाले संयुक्त भार में रह कर उतनी ही शक्ति के बराबर है, यह सर्व विदित विषय है। साथ ही यूरेनियम लौह जलकण के २३६ के बराबर भार के अणु रूप में है यह भी सर्वविदित विषय
एक प्रमाण के बराबर अल्युमिनियं धूल से तैयार बम में जितनी शक्ति समाहित होगी, यूरेनियं लौह के धूल से तैयार बम २३६ भागित २७ के बराबर ही होगी, इससे कम या ज्यादा शक्ति संपन्न होना असंभव होगा ऐसा गणित शास्त्र के द्वारा ज्ञात होता है । इसकी शक्ति तथा व्याप्ति पुराने बमों की शक्ति तथा व्याप्ति की अपेक्षा साढे आठ के बराबर या फिर उससे थोडी अधिक होगी इससे अधिक नहीं हो सकती
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