________________
(सिरि भूवलय
||१३९।। ।।१४०॥ ||१४१।। ।।१४२॥ ॥१४३।। ॥२४४||
ता आगतद सिद्धान्त ॥१२६।। को आगमवेनलेके ॥१२७॥ णो आगमभाव काल
।।१२८॥ णोआगमद (अनन्त) अन्तरवु ॥१२९।। णोआगमतद्वयतिरिक्त
।।१३०॥ श्री आगमक्क्षेत्र स्पर्श ।।१३।। णोआगमाल्पबहुत्व ॥१३२।। श्री आगतद सिद्धान्त ।।१३३।। गो आगम बन्ध द्रव्य
।।१३४॥ आ आगमद अबन्ध ॥१३५।। श्री आगम सम्ख्य दन्क ॥१३६|| श्री आगतदि बन्दिरुव
||१३७॥ ई आगमद भूवलय
।।१३८॥ अष्टमहापातिहार्यवय्भववे । अष्ट महा पाडिहेरा ॥ उस ह* जिनेन्द्रादिगळिगे केवलज्ञान । वेसेद अशोकबूझगळ वरद नामगळोळु न्यग्रोधवु ओमदु । वर सप्तपर्णान्कग*ळु || एरडागे शाल सरल प्रियन्गु प्रियन्गुम् । बरलु मूर्नाल्कय्दारु
नाग । वरुन अकाव धलियवण* || वरुन पलाश एनटोमबतत हतअनक । लकषिसे हननोमदरमक मळि पाटलवु नेरिल दधिपर्णवु । वर नन्दि हन्एरड्अ ध र || सरणि हदिमूर् हदिनाल्कूहदिनयदु । बरलु तिलक हदिनारु बिळिमावु कन्केलि सम्पगे बकुल । बळिहन्गळ् हदिनेन्टु।। सळर* स विहत्तोम्बत्इप्पत्तु मेषशुन्ग। अळिमलेयोळग् इप्पत्ओम्दु यश धूलियु धव शालविन्तिवुगळ । वशडप्पत्एरडदु वरदे* || रसद् इप्पत्मूरिप्पत्नाल्कू एनुवन्क । रससिद्धिगादि अशोक यशद मालेगळ तोरणदि ॥१४५।। असमान घंटेय सरदिम ।।१४६।। वश मन मोहकवेनिप
॥१४७॥ असमान रमनीयवेनिसि ।।१४८॥ यशदन्ग राग पल्लवदि
॥१४९॥ यशवेत्त पुष्प सम्कुलदि ||१५०॥ वशवप्प रससिद्ध हूवु ।।१५१|| रसमणिगादिय हूवु
।।१५२॥ यशस्वति देविय मुडिपु
॥१५३।। कुसुम कोदन्डनम्बेच्चु ॥१५४॥ असद्श कामित फलद
॥१५५।। यशदं बळिगळ हुट्टन्ग ।।१५६॥ विषहरवाद अम्तवु ॥१५७॥ कुसुमाजि मुडिदलन्कार ॥१५८॥ रस घट्टगादिय भन्ग ।।१५९।।
यशद कोम्बेगळ भूवलय | ।।१६०।। सवणत्वसिद्धियशोकवादिय दिव्य । नवव्म जातीयव् वा* द ।। अवुगळु तमगिन्त हन्एरडष्टुद्द । नवरत्न वर्णशोभेगळु व्रणनवेके देवेन्दरनुद्यानदि । निर्वाहवागद्अगिडदे । हर्षवनीवुदेन्देनलेके साकदु । निर्मल तीर्थमन्गलव वरद हस्तद तेरनाद छत्रत्रय। अरहन्त शिरदलिर् प्* आग ।। हरुषद चन्द्र मन्डल मुक्ताफल ज्योति । वेरसि निन्दिहुदु शोभेयलि जयद सिम्हासन नाल्मोगदिन्दिह । नयद निर्मलमार्गदि र* विम्।। जय रत्न स्फटिकगळ् केत्तिरुवन्कदे। नयप्रमाणगळु ओआगे गोपुरदा हिन्दे इरुव सिम्हासन । रूपळिदिह ई गणित ।। श्रीप ति* यडियु सोन्किद दिव्य मन्गल । श्रीपाहुडद शोभेयलि
॥१६॥ ॥१६२।। ।।१६३।। ॥१६४॥ ।।१६५॥
340