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सिरि भूवलय
पंचम 'ई' अध्याय
ईग आवाग हिन्दण मुन्दके बहा ।। नागत कालवेल्लवनु । आग स* दन्तव सागुत काणुव । श्री गुरुवय्वर ज्ञान यवेयकाऴिन क्षेत्रदळतेयोळी । अवरोळनन्तव स क * लान् ॥ कव नवदोळ् सवियागिसी पेळुव । नव सिरी इरुव भूवलय म्रुर्मद सम्यज् ञनवात्मनरूपु । निर्मलानन् तद्अ सकल ॥ धर्मव परसमयद वक्तम्यतेयली । निर् मलगोळिसिद ज् जन णाणावरणीय कर्मवळियलु । तानु केवलजानियागी ॥ आनन्द क* रनु आत्म स्वरूपव ताळ्व श्री निलयन्क ओम्बत्तु यावाग नोडिदरावाग अल्लिये ।। ठाविन पूर्णान्कवेनिसी ।। तावु का लु* ष्यव होन्दुवन्कगळनु । तीविकोन्डिरुवात्म नवम
पावन परिशुद्ध नवम
पावन सूच्यग्र नवम सावु बाळ्विकेयल्ल नवम
श्री वीरनरिकेय नवम
और विद्यासाधन नवम तावु ताविनोळेल्ल नवम नावुगळळेयुव नवम
ई विश्व परिपूर्ण नवम
श्री विश्वदादिय नवम सावु नोवगळल्ली नवम
॥१२॥
॥१५॥
दावानल कर्म नवम पावनवागिप नवम
॥१८॥
॥२१॥
श्री वीरसिद्धान्त नवम ॥२४॥ कावुतलिरुव भूवलय
वरद हस्तद नवपदद निर्मलदन्क । गुरुगळय्वर ई * टदन्क ॥ सरस साहित्यद वर्णनेगादिय । वरद केवललब्धियन्क हारदग्रदरत्न नायक मणियन्क । मूरु मूरल औम्बत्र अन्क ॥ नूरु साविर लक्ष कोटियोऴ् ओम्दम् । दारिदेगेयलोम्बत्अन्क रिद्धि सिद्धिगळनु कूडिसि कोडुवन्क । होद्दि बरुव दिव्यव् विये ।। अध्यात्म सिद्धिय साधिसिकोडुवन्क । शुद्ध कर्नाटकदन्क यशस्वतियाडुव प्राक्त लिपियक । रसद समस्त ध्रव्यदन्क । असमान द्राविड आन्ध्र महाराष्ट्र । वशदलि मलेयाळ दन्क
यशद कळिनगद अन्क वसनद हम्मारदन्क
वशवा तेबतियादियन्क विषहर ब्राम्हियाद्यन्क
रिसिय गुर्जर देशदन्क रसद काश्मीरान्गदन्क यश शौरसेनीयदन्क रसवेन्गि पळुविन अन्क
॥६॥
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॥३०॥ ॥३३॥
॥३६॥
॥३९॥
रससिद्ध अनुगद अन्क ऋषिय काम्भोजादियन्क रस वालियन्कदोम्बत्तु असमान वन्ग देशान्क
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11911 साविर लक्षान्क नवम साविर कोटिगळ् नवम
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नावुगळरियद नवम
ऋवागमवर्प नवम
कावुदेल्लवनु ई नवम
श्री वीरसेनर नवम
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॥५॥
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