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( सिरि भूवलय
वह प्रशंसनीय है। इन्होंने जीवन को बहुत करीब से देखा है, समझा है यही कारण है कि इनको कविताओं में भावों की गहरी अनुभूति दिखाई पड़ती है। कवि सम्मेलनों में इनकी भावना प्रधान आवाज़ को सराहा गया है। इनके पति डॉ. बी. आर. रमेश स्वयं एक वैज्ञानिक हैं और फ्रेंच इन्स्टीट्यूट में आदरणीय पद के अधिकारी हैं। इनकी तीन पुत्रियाँ हैं जो पुदुचेरी में ही अध्ययनरत हैं।
सिरि भूवलय की ख्याति और ज्योति आप से और भी फ़ैलेगी ऐसी आशा पुस्तक शक्ति को है और आप स्वयं भी सिरि भूवलय की सिरि से साहित्य जगत में यशस्व प्राप्त करें ऐसी कामना पुस्तक शक्ति करता है।
साथ ही पुस्तक शक्ति श्रीमती सरस्वती सु.होटी की भी आभारी है जिन्होंने हिन्दी अनुवाद में श्रीमती स्वर्ण ज्योति जी को निरंतर सार्थक सहयोग दिया ।
पुस्तक शक्ति इन सभी महानुभावों का आभार मानती है सर्व प्रथम इस कार्य के लिए हमें हाथ पकड कर चलना सिखाने वाले ९६ वर्षीय देश के बुजुर्ग विद्वान प्रो. जी. वेंकट सुब्बैय्या जी को आभार प्रकट करते हैं। हमारे सभी कार्यों में सहकारी प्रो. नागराजैय्या को तथा इस उद्देश्य के लिए मनः पूर्वक आशीर्वाद देने वाले डॉ.टी.वी.वेंकटाचल शास्त्री जी का अभिनंदन करती है ।
हम इस कार्य में सहायक डी.टी.पी. आनंद प्रिन्टर्स ,सोमेश, उमेश, प्रभाकर चेंडूर वंदना राम मोहन के भी कृतज्ञ हैं ।
श्री वाय. के. मोहन
पुस्तकशक्ति
श्रद्धांजली सिरि भूवलय प्रोडक्शन विषाद पूर्वक सूचित करता है कि श्री एम.वाय. धर्मपाल जी दिनांक २३-८-२००६ को देवाधीन हुए। आप, सिरि भूवलय को अपने पिता दि. पंडित यल्लप्पा शास्त्री जी से संपत्ति के रूप में प्राप्त कर आज तक संरक्षित रख कर उसके प्रचार के लिए विशेष रूप से श्रम साध्य रहे। इस ग्रंथ के प्रकटण में उनका संपूर्ण सहयोग रहा । परमात्मा उन्की आत्मा को चिर शांति प्रदान करें ऐसी आशा और प्रार्थना करते हैं।