________________
(सिरि भूवलय)
॥४४॥
॥४५॥ ॥४६॥
॥४७॥ ॥४८॥ ॥४९॥
॥५०॥
॥५२॥ ॥५२॥
॥५४॥ ॥५६॥ ॥५८
समनाद् ई मूरु पद्मगळन्नेल्ल। ममह्दयद शुद्ध रसद।। गमकदोळ् अन्टिद अन्टद् अन्टम्*शिअमविल्लदे सोन्नेगेयदा यशद ध्यानाग्निम् पुटविडे रससिद्धि। वशवागुवुदु सत्य मणियु। रसमणिमो क् षदे कामदवहुदेम्ब। रससिद्धियन्क भूवलय लवमात्रवादरु दोषगळिल्द । नवमान्कदादि अर्हन्त ।। अवनेरडू कालन्नूरिद्दन्द । सविये भाविसि महापद्म त्रतरवादेरळ् आ पाद(गळ्न एल्ल) पद्मगौलु। बरुव अतितानागतद। वरवादोम्दु आ समयद *ट्पद। दरियिरि वरत्मानवनु थणथणवेन्नुव रसमणियौषध । गणितवम् नागर्जुननु।। क्षणदोळगरिदनु गुरुविन्द लातनु। गणिसुतलेन्टु कर्मवनु साधिसि केडिसुत सिद्धान्तमार्गद । ओदिनन्काक् षर विद्ये।। मोददहिम्सा लक्षण धर्मदिम् । अदिजिनेन्द्रर मतदिम् रागव गेलिदवरागपेळिददिवयम् । नागसम्पगेय हूवुगळम् । सागरदुपमान गुणितदच* रितेयिम् । भोगवयोगदोळ् कूडि सिद्धरसवमाडि हूवनु कोन्दिह । बुद्धियज्ङानव केडिसि।। शुद्धात्म नेलेइ ह सिद्धर लोकद । सिद्ध सिद्धान्त भूवलय द्रुशन माडलु सद्दर्शनवागि । परमात्म पादव गुणिसे । तिरुगिद कमलव* दलगळ कूडलु । बरलोमदु साविरददेन्टु
अरुहन पदपद्म भन्ग परमन पदपद्मदन्ग
गुरुपरम्परेयादि भन्ग सरसान्क हुट्टिद भन्ग
गुरुगळ उपदेशदनग परिशुद्ध परमात्मनन्ग
सरसद हन् एरडन्ग करुणेय मूरु हूवन्ग
॥६०॥ परिमळ रसवगेल्दन्ग सरसाक्षरऐळुभन्ग
॥६२॥ गुरुसेनगणदवरन्ग
परमम्नगल काव्य भन्ग ध्रमध्वजवदरोळु केत्तिद चकर् । निर्मलदष्टु हूवुगळम् ।। स्वर्मन दलगळउवत्तोन्दु सोन्नेयु। धर्मद कालु लागळे आ पाटियन्कदोळ् ऐटु साविर कूडे। श्रीपादपद्म गन्धजल(दनगदल) |रूपि अरूपिया ओ मदरोळ् पेळुव। श्रीपद्धतिय भूवलय सिरिसिद्ध अरहन्त आचार्य पाठक । वरसर्वसाधु सद्धर्म ।। परमागमवदम् ।। बरेव चयत्यालय । दिरुव श्रीबिम्ब ओम्बत्तु
करुणेयोम्बत् इप्पत्ऐळु ॥६८॥ सिरियोळ्नूरिपपत् ओमबत्म् बरुव महान्कगळारु
॥७०॥ अरुहनगुणव् एम्बत् ओम्दु एरडने कमलहन् एरडू
॥७२॥
करविडि देळन्क कुम्भ
॥५३॥ ॥५५॥ ||५७॥ ॥५९॥ ॥६ ॥ ||६३॥ ॥६४॥
॥६५॥
।६६। ६७।
॥६९।। ॥७१॥ ॥७३॥
180