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________________ 5 1/5 Alhana Sāhu introduces, to the poet, the name and fame of Nattala Sāhu and his family. पुण्णेण वि लच्छि-समिद्धएण णय-विणय-सुसील-सिणिद्धएण।। कित्तणु विहाइ धरणियलि य जाम सिसिरयर सरिसु जसु ठाइ ताम।। सुकइत्ते पुणु जा सलिल-रासि ससि-सूरु-मेरु णक्खत्तरासि ।। सुकइत्तु वि पसरइ भवियणाहँ संसग्गें रंजिय जणमणाहँ।। इह जेजा णाम साहु आसि अइ णिम्मलयर गुणरयणरासि ।। सिरिअयरवाल-कुल-कमल-मित्तु सुहधम्म-कम्म पविइण्ण वित्तु।। मेमडिय णाम तहो जाय भज्ज सीलाहरणालंकिय सलज्ज।। बंधव-जण-मण-संजणिय सोक्ख हंसीव उहय सुविसुद्ध-पक्ख।। तहो पढम पुत्तु जणणयणरामु हुउ आरक्खिय-तस-जीव गामु कामिणि-माणस-विद्दवण कामु राहउ सव्वत्थ पसिद्ध णाम्।। पुणु वीयउ विदुहाणंद-हेउ गुरुभत्तिए संथुअ अरुह देउ।। विणयाहरणालंकिय-सरीरु सोढलु णामेण सुबुद्धि-धीरु ।। घत्ता- पुणु तिज्जउ णंदणु णयणाणंदउ जगे णट्टलु णामे भणिउ। जिणमइ णीसंकिउ पुण्णालंकिउ जसु बुहेहि गुण-गणु-गणिउ।। 5 ।। 1/5 अल्हण साहू कवि के लिये नट्टल साहू का पारिवारिक-परिचय देता है— लक्ष्मी से समृद्ध, नय-नीति में कुशल, विनयवान्, सुशील एवं स्नेहशील पुण्यात्मा होने के कारण पृथिवी-मण्डल पर दानी व्यक्ति की सत्कीर्ति ही सुशोभित नहीं होती, अपित (शुभ्र-शीतल) चन्द्र-किरणों के सदृश उसका यश भी स्थिर हो जाता है। पुनः सुकवित्व से प्राप्त शुभ्रकीर्ति भी तब तक स्थिर बनी रहती है, जब तक कि सृष्टि में समुद्र, चन्द्र, सूर्य, मेरु एवं नक्षत्रराशि है। किन्तु भव्यजनों के संसर्ग से ही उस सुकवित्व का प्रसार हो सकता है (अन्यथा नहीं)।" ___ (अल्हण साहू पुनः आगे कहता है)- "इसी दिल्ली-पट्टन में अत्यन्त निर्मलतर गुणरूपी रत्नों की राशि-स्वरूप, अग्रवाल कुल रूपी कमलों के लिए सूर्य के समान, तथा शुभ धार्मिक कार्यों में धन-सम्पत्ति का दान करने वाले, जेजा नाम के एक साहू निवास करते है। उनकी मेमडिय नाम की पत्नी है, जो शील रूपी आभरण से अलंकृत, ल, बान्धव जनों के मन में सुखानुभव उत्पन्न करनेवाली तथा हंसिनी के समान विशुद्ध पक्ष वाली है, अर्थात् हंसिनी के दोनों पंख निर्मल होते हैं, उसी प्रकार उस भार्या के भी दोनों पक्ष (मातृपक्ष एवं पितृपक्ष) निर्दोष-निर्मल थे। __उन दोनों के कामदेव के समान सुन्दर राघव नाम से सर्वत्र प्रसिद्ध प्रथम पुत्र हुआ जो समस्त त्रसादि जीवों का संरक्षक तथा कामिनियों के नेत्रों तथा हृदय को पिघलाने वाला है। दूसरे पुत्र का नाम सोढल है, जो विबुध न्द का कारण है तथा जो अत्यन्त भक्तिपर्वक अरिहन्तदेव की स्तुति करने वाला है और विनय गुण से अलंकृत शरीरवाला तथा जो विवेकशील एवं धीर-वीर है। घत्ता– पुनः (उस जेजा साहु का) संसार में नट्टल नाम से प्रसिद्ध तीसरा पुत्र उत्पन्न हुआ, जो सभी के नेत्रों को आनन्द दायक है तथा जो जिनमत में निःशंक और पुण्य से अलंकृत है और जिसके गुण-समूह बुधजनों द्वारा सम्मानित हैं। (5) पासणाहचरिउ :: 7
SR No.023248
Book TitlePasnah Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2006
Total Pages406
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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