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________________ मय श्री संघपgs: (२) स्त्रीधना संबंध सहित जे निवास तेनी अपेक्षाए कर्छु एम जाणो टीका:- अन्यथा पुरुषाकी बालवृद्धस्त्री संसक्तवसत्यपेक्षयाsधार्मिक वसतिवर्जना निधानस्य वैयर्थ्य प्रसंगात् ॥ यडुक्तं ॥ श्रवा पुरिसाइन्ना नायायाराय जीयपरिसाय ॥ बालासु य वृद्वासु य नारीसु य वज्जए कम्मं ॥ अर्थः ॥ एम जो न होय एटले जवान स्त्रीखोना संबंध सहित निवासना त्याग करबो एम जो अभिप्राय न होय तो जे निवास पुरुष युक्त होय बाल अथवा वृद्ध स्त्रीधोना संबंधित । निवास होय तेनी अपेक्षाए श्राधाकर्मिक निवासनो त्याग करवानुं जे कयुं बे तेने व्यर्थ यवनो प्रसंग यशे ए हेतु माटे ॥ ते शास्त्रम कबे जे. टीका:- किंच उज्जय प्राप्तावाधाकर्मिकवसति ग्रहणमेव चैत्यवासं निषेधयति ॥ अन्यथा यधाकर्मा दिदोष विकलसङ्गावे श्राधाकर्मिकवसतिग्रहणं नाचकीत ॥ तथा स्त्रीसंसक्ताधाकर्मिकवसत्योरिव स्त्रीसंसक्तवस तिजिन गृड्योरेकतर निर्धारण स्यागमें कारणे पक्व चिदप्रतिपादनात् ॥ अर्थ:-वळी वे प्रकारना निवासनी प्राप्ति थये ढते ट
SR No.023205
Book TitleSangh Pattak - 40 Kavyano Attyuttam Shikshamay Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvallabhsuri, Nemichandra Bhandagarik
PublisherJethalal Dalsukh Shravak
Publication Year1907
Total Pages704
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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