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. नवांगी वृत्तिकार श्री अभयदेवचरिना शिष्य - महाकवि श्री निनवल्लभमूरि विरचित 18. संघपट्टक
नामनो चाळीश काव्यनो अत्युत्तम शिक्षामय ग्रंथ.
षष्ठिशतकपना कर्ता श्रीनेमिचंधनांमागारिकना गुरु महानेयायिक श्रीजिनपतिसूरिए रचेली त्रण हजार श्लोक प्रमाणनी
दत् टीका.
जेमां चैत्यवासिउँना शिथिलाचार- पूरेपूरं खंकन करीने विधिमार्गनी, युक्तिपूर्वक संपूर्ण पुष्टि करेली . श्रा बन्ने ग्रंथोना मूळपाठ तथा तेनी साथे तेनुं
गुजराती-नाषांतर.
उपावी प्रसिद्धकर्ता श्रावक जेगलास दखसुख.
अमदाबाद-श्री जैन प्रिंटिंग प्रेस.
वि. सं. १९६३-सने १ए०७. कीमताकmachोस्टेज जु.