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________________ साहित्य समाज और जैन संस्कृत महाकाव्य कीर्तिकौमुदी महाकाव्य का नायक महामात्य वस्तुपाल है । काव्य के लेखक वस्तुपाल के समसामयिक सिद्ध होने के कारण कीतिकौमुदी महाकाव्य का समय १३वीं शताब्दी ईस्वी का पूर्वार्घ निश्चित किया गया है।' कीर्तिकौमुदी महाकाव्य नौ सौ में लिखा गया महाकाव्य है। महाकाव्य के लक्षणों की दृष्टि से भी इसका महाकाव्यत्व पुष्ट है। स्वयं कवि को भी इसे महाकाव्य कहना अभीष्ट है । मङ्गलाचरण के प्रारम्भिक पद्यों में ब्रह्मा, शिव, विष्णु, देवों तथा सरस्वती देवी की आराधना की गई है। प्रतिपाद्य विषयों में नगर वर्णन,४ नरेन्द्र वंश वर्णन,५ मन्त्रिप्रतिष्ठा वर्णन, दूतसमागम वर्णन, युद्ध वर्णन, पुरप्रमोद वर्णन, चन्द्रोदय वर्णन,'' यात्रासमागम वर्णन' आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय कहे जा सकते हैं। महाकाव्य का नायक सद्गुणाश्रित. वस्तुपाल है ।' २ इस प्रकार कीतिकौमुदी महाकाव्य का ऐतिहासिक कलेवर भी महाकाव्य लक्षणों के अनुरूप ही निबद्ध किया गया है । (१४) बालचन्द्रसूरिकृत वसन्तविलास महाकाव्य' 3 (सन् १३वीं शती ई०) बालचन्द्रसूरि कृत वसन्तविलास महाकाव्य एक ऐतिहासिक महाकाव्य है । इस महाकाव्य में ढोल्का के राजा वीरधवल के महामात्य बस्तुपाल की जीवन घटनाओं का चित्रण किया गया है। प्रस्तुत रचना वस्तुपाल की मृत्यु के उपरान्त १. कीर्तिकौमुदी, परिशिष्ट, पृ० ४५-४६ २. तु० 'सोमेश्वरदेवविरचिते कीर्तिकौमुदीनाम्नि महाकाव्ये ।' -पुष्पिका, कीर्ति०, सर्ग १ ३. कीति०, १.१-६ ४. वही, सर्ग-१ ५. वही, सर्ग-२ ६. वही, सर्ग-३ ७. वही, सर्ग-४ ८. वही, सर्ग ५ ६. वही, सर्ग-६ १०. वही, सर्ग-७ ११. वही, सर्ग-6 १२. वही, १.४६-४७ १३. वसन्तविलास, सम्पादक-सी० डी० दलाल, गायकवाड़ प्रोरियण्टल सोरीज़, बड़ौदा, १९१७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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