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________________ " विषयानुक्रमणि का ६२३ जल से शान्ति तथा पापनाश षेक ३३३, प्रतिमा अलंकरण ३३६, ३३७, जो से शुभ्र वर्ण ३३५, मन्त्रजाप ३३४, ४३५, ३३६, तण्डल से दीर्घायु ३३६, प्रदक्षिणा ३३५, वन्दना ३६३, तिल से वृद्धि ३३६, दधि से विसर्जन ३३२, शेषिका ३३५, "कार्य सिद्धि ३३६, दीप से सन्निधीकरण ३३२, स्तुतिवाचन कान्ति ३३७, दुग्ध से पवित्रता ३४१, ३६३, स्थापन ३३२, ३३६, धूप से सौभाग्य ३३७, स्वस्तिवाचन ३३५ नैवेद्य से लक्ष्मीपतित्व, ३३७, जैन प्रतिनारायण (नौ) ३५८, ३५६ पय से सन्तुष्टि ३३६, पुष्प से जैन प्रतिमा अभिषेक ३३२-३३७, * मन्दारमाला की प्राप्ति ३३७, फल से मनोरथ प्राप्ति ३३७ ३४८, ३४६, प्रतिमा स्नान, लाजा से सौमनस्य ३३७, ३३२, अभिषेकशाला में स्थापन सरसों से विघ्न नाश ३३६, ३३४, सुगन्धित द्रव्यों का लेप, सुगन्धित पदार्थों से सौभाग्य ३३२, ३३४, पुष्पादि समर्पण ३३२, स्वस्तिक निर्माण ३३२, प्रतिमा अलंकरण ३३४, दीप जैन पूजा पद्धति ३३२-३३६, ५०४ । प्रज्वलन ३३२, अर्घ्यदान -पूजा दो प्रकार की-द्रव्य पूजा ३३४, झारी से अभिषेक ३३४, एवं भाव पूजा ३३२, ३३३, घड़ों से अभिषेक ३३४ अष्टविष पूजन ३३६, हिन्दूपूजा जैन प्रमाण व्यवस्था ३८१-३८२, पद्धति से समानता ३३५-३३६ दार्शनिक पृष्ठभूमि ३७५-३७८%; "जन पूजा मण्डप ३३४ । सामान्य लक्षण ३८१, इसके जैन पूजा विधियाँ ३१५, ३३२-३३५ भेद तथा उपभेद ३८१-३८२ नयचर्चा ३८२ प्रय ३३५, अर्हत्स्तुति ३३०, जैन भाव पूजा ३३२-३३३ अष्ट द्रव्य पूजा ३३२, आह्वान जैन भौगोलिक मान्यताएं ५११, ५१२ ३३२, प्रो३म उच्चारण ३६१, जैन मनु ३५७ जयकार ३६१, जल स्नान जैन मनुषों की संख्या ३५७, ३५८ ३३२, दीप प्रज्वलन ३३२ : जैन मन्दिर ५१, ५६, ३३६-३४२, द्रव्य समर्पण ३३५, पंचनमस्कार ३४४-३५०, ४०४ ३२७, पञ्चाङ्गस्पर्श ३६१, इनकी लोकप्रियता ३४०, मन्दिर पंचोपचार ३३२, प्रतिमा अभि. निर्माण का धार्मिक मनोविज्ञान
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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