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________________ विषयानुक्रमणिका ६१७ जैन कुलाचल (छह) ५११ वैयावृत्त्य तप ३६४, व्युत्सर्गतप हिमवान्, महाहिमवान् निषध, ३६४, शीत ऋतु तप ३६५, नील, रुक्मी, शिखर ५११ स्वाध्याय तप ३६४ जैन क्षेत्र (सात) ५११ जैन तर्कशास्त्र ४०५ भरत, हैमवत, हरिरम्यक, जैन तर्कशास्त्री ३८१ हैरण्यक, हैरण्यवत, विदेह, जैन तीर्थस्थान ३१४, ३३३, ३३६, ऐरावत ५११ ३४२-३४७, ३६५ जैन गृहस्थ/श्रावक धर्म ३१८, ३२१, जैन तीर्थक र ६३, ५७, ३४२, ३५४, ३२३, ४७० ३५७, ३५८, ३८५, ३८६ दो प्रकार का ३१८, ३२१, जैन तीर्थङ्करों की माताएं ४८१ गृहस्थ के निषिद्ध कर्म ३२७, जैन त्रिषष्टिशलाकापुरुष ३५८, ३५६ धावकों के चौदह प्रकार ३६१, तीर्थङ्कर (चौबीस) ३५८, श्रावकों के बारह व्रत ३३१ चक्रवर्ती (बारह) ३५८, जैन चक्रवर्ती (बारह) ३४२, ३५८ वासुदेव/नारायण (नौ) ३५७, जैन चतुर्दश स्वप्न ४५४, ४५५ ३५६, प्रतिनारायण (नौ) जैन चामत्कारिक विद्याएं ४२४ ३५८, ३५६, बलभद्र/बलराम जैन चूर्णी ग्रन्थ २८१, २८२ (नौ) ३५८, ३५६, शलाका पुरुषों का प्राविर्भाव, ३५८, जैन ज्योतिष्क देव ३४०, ३५१ इनके नाम ३५८-३५६ . जैन तपश्चर्या ३१४, ३२४, ३३१, जैन दर्शन ३६, ५१, ३७५, ३७६, ३५२, ३५६, ३६०, ३६३, ३७८, ३७६, ३८०, ३८१. ३६४, ३६६, ३६७, ४०१ । ३६२, ४०३, ४०५, ४०६ तपों के भेद ३६३, बाह्यतप छह ___ जैनदर्शन का विकास ३७५, ३७६ प्रकार के ३६४, कठोर तप __ इसके चार युग ३७५ ३६४, अनशन तप ३६४, जैन दर्शन की तत्त्वमीमांसा ४०५ प्रबमोदर्य तप ३६४, उनोदरी जैन दर्शन के सात तत्त्व ३८३-३६२ तप ३६४, कायक्लेश तप ३६४. जीव, अजीव, प्राश्रव, बन्ध, ३६७, ध्यान तप ३६४, पंचाग्नि संवर, निर्जरा तथा मोक्ष ३८३, तप ३६५, प्रायश्चित तप ३६४ ३६२, पुण्य, पाप सहित नौ रसपरित्याग तप ३६४, वर्षा तत्त्व ३८४ ऋतु तप ३६४, विविक्त शयना- जैन दर्शन में नारी ४७१, ४७२ सन तप ३६४, विषमतप ३६४, जैन दार्शनिक ३२०, ३७६, ३७८, वृत्तिपरिसंख्यान तप ३६४ ३६२, ४०२, ४०३, ५०६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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