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स्त्रियों की स्थिति तथा विवाह संस्था
थे।' दूत पत्र तथा कन्या के चित्र को भी साथ रखते थे ।२ चित्र-पट में कन्या के चित्र के साथ उसके रूप सौन्दर्य का भी वर्णन किया गया होता था ।३. धर्मशर्माभ्युदय महाकाव्य के अनुसार राजा धर्मनाथ के राज-दरबार में गए दूत ने राजकुमारी शृङ्गारवती का जो चित्रपट दिखाया उसके नीचे राजकुमारी के अप्रतिम सौन्दर्य को विज्ञापित करने वाला एक पद्य भी लिखा गया था। स्वयंवर के दिन सभी राजकुमार सभामण्डप में विराजमान हो जाते थे ।५ तदनन्तर राजकुमारी हथिनी पर बैठकर प्रतिहारी के साथ सभा मण्डप में प्रवेश करती थी। प्रत्याशी राजकुमार कन्या को आकर्षित करने के लिए विविध प्रकार के श्रृङ्गारिक हाव-भावों का भी प्रदर्शन करते थे ।
स्वयंवर में आए राजाओं की चयन योग्यताएं
धर्मशर्माभ्युदय महाकाव्य में वर्णित स्वयंवर विवाह में उपस्थित अनेक राजानों का जो वर्णन पाया है उससे तत्कालीन स्वयंवर विवाह की उल्लेखनीय विशेषतामों की जानकारी प्राप्त होती है । इस प्रसंग में प्रत्याशी राजामों का परिचय और उनकी शक्ति, पराक्रम आदि का भी उल्लेख पाया है। मालवनरेश अवन्ति राज्य का राजा था तथा उसके अधीन अनेक सामन्त राजा भी थे। मालव नरेश की रण कौशलता भी अद्वितीय थी। मगधराज निष्कण्टक राज्य का उपभोग
१. दूतः कुमारानयनार्थमीरितः ।
-धर्म०, ६.३१ २. वराङ्ग०, २.३७, ४० तथा धर्म०, ६.३३ ३. धर्म०, ६.३४-३५ ४. अस्याः स्वरूपं कथमेणचक्षुषो यथावदन्यो लिखितु प्रगल्भताम् । धातापि यस्याः प्रतिरूपनिर्मिती घुणाक्षरन्यायकृतेर्जडः ।।
-वही, ६.३५ ५. देशान्तरायातनरेन्द्रपूर्णा स्वयंवरारम्भभुवं प्रपेदे। -वही, ७७.१ ६. करेणुमारुह्य पतिवरा सा विवेश चामीकरचारुकान्तिः ।
-वही, १७.११ ७. शृङ्गारलीलामुकुरायमाणान्यासन्नृपाणां विविधेङ्गितानि ।
-वही, १७.२५ तथा १७.२३-३० ८. वही, १७.३३ ६. वही, १७.३४-३५