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________________ शिक्षा, कला एवं ज्ञान-विज्ञान चतुर्थ शताब्दी ई० पूर्व तक के बौद्ध साहित्य में ६४ प्रकार की लिपियों का उल्लेख हुआ है। इनमें से महावस्तु अवदान नामक बौद्ध ग्रन्थ में भाषा विषकक ३३ लिपियों तथा लेखन शैलियों के उल्लेख प्राप्त होते हैं । २ बौद्ध साहिन्य में उल्लिखित इन लिपियों के उल्लेख से ज्ञात होता है कि जैन संस्कृत महाकाव्यों से पूर्व ही भारत में विभिन्न प्रकार की लिपियों का अस्तित्व बना हुआ था। पद्मानन्द महाकाव्य में लगभग १८ लिपियों के पढ़ने का उल्लेख पाया है। वराङ्गचरित एवं द्विसन्धान महाकाव्यों में भी लिपि को एक विद्या के रूप में स्वीकार किया गया है। राजकुमार शिक्षा प्राप्त करते समय विभिन्न देशों की लिपियों का ज्ञान सम्भवतः इसलिए प्राप्त करते थे ताकि उन्हें राज्य प्रशासन में सुविधा मिल सके। द्वयाश्रय काव्य में शौरसेनी, शबरी, गोपाल गुर्जरी मादि प्राकृत भाषामों का उल्लेख भी पाया है। बारहवीं तथा तेरहवीं शती ई० में कर्नाटक प्रादि प्रदेशों में कन्नड़, तेलगू, मराठी आदि भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन के संकेत भी प्राप्त होते हैं । शिक्षा का माध्यम : संस्कृत भाषा इस प्रकार मध्यकालीन भारत में विविध भाषाओं तथा लिपियों का सम्यक् विकास हो चुका था किन्तु शिक्षा का माध्यम मुख्य रूप से संस्कृत भाषा ही थी। १. अंगने लाल, संस्कृत बौद्ध साहित्य में भारतीय जीवन, लखनऊ, १९६८, पृ० २२४ २ तु० -- १. ब्राह्मी २. पुष्करसारी ३. खरोस्ती(खरोष्ट्री) ४. यावनी (यूनानी) ५. ब्रह्मवाणी ६. पुष्पलिपि ७ कुतलिपि ८. शक्तिनलिपि ६. व्यंत्यरलिपि १०. लेखलिपि ११. उकर १२. उत्तरकुरु शैली १३. मधुर शैली १४. दरद शैली १५. उकरमधुटदरद (उत्तरकुरुमगधदरद शैली) १६. चीण शैली १७. हूण शैली १८. पापीरा (प्राभीर) शैली १६. वंगशैली २०. सोफला शैली २१. त्रमिद शेली २२. दुर्दरा शैली २३. रमठ शैली २४. मया शैली २५. बच्छेतुका शैली २६. गुल्मला शैली २७. कसूला २८. केतुका २६. हस्तदा शैली ३०. कुसुवा ३१. तलका ३२. जजरि ३३. अक्षरबद्ध शैली । -महावस्तु अवदान, जिल्द १, १३५.५-७ ३. अष्टादशाप्यथ लिपीरपीपठत् । -पद्मा०, १०.७६ ४. वराङ्ग०, २.६ ५. द्विस०, ३.२४ & Narang, Dvyāśrayakāvya, p. 137 ७. अल्तेकर, प्राचीन भारतीय शिक्षण पद्धति, पृ० १३७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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