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________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज स्थायी रूप से प्रभाव पड़ता है।' समाजशास्त्र के विविध तत्त्व 'समाजशास्त्र' के सन्दर्भ में समाज के विविध तत्त्वों जैसे-'समाज' (Society), 'समुदाय' (Community), 'समिति' (Association), 'संस्था' (Institution) आदि की परिभाषा जन-साधारण में प्रचलित परिभाषा न होकर एक शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक परिभाषा है। विविध समाजशास्त्रियों ने एक-एक तत्त्व की परिभाषा को विविध प्रकारों से प्रस्तुत किया है। समाज के इन विविध तत्त्वों की संक्षिप्त समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि इस प्रकार है १. 'समाज' (Society)-समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार 'समाज'उन दो या दो से अधिक मनुष्यों के समूह का नाम है जिसमें जनकल्याण की भावना से मानव व्यवहारों का आदान प्रदान होता है। समाज के अन्तर्गत पशु व्यवहारों तथा परस्पर उदासीन झुण्डों (समूहों) का अधिक महत्त्व नहीं है, क्योंकि ये व्यवहार लोककल्याण की भावना से अछूते रहते हैं । 'सामाजिक संगठन' की मान्यता भी समाज की परिभाषा से सम्बद्ध है। रूटर (Reuter) तथा हार्ट (Hart) के अनुसारक सामाजिक संगठन से अभिप्राय सांस्कृतिक समितियों की पूर्णता और समूह की विशेषता तथा असंगठित क्रियाओं के समूह सहित उनके परस्पर संबंधों १. तु० - "सामाजिक अनुसन्धान में ऐतिहासिक पद्धति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है । सामाजिक घटनाएं सामाजिक शून्य में नहीं होती, अतः उनके भूत और वर्तमान का कहीं क्रमबद्ध लेखा अवश्य होना चाहिए। इस पद्धति के प्रयोग के लिए प्रलेखों, मूल सामग्री को एकत्र करना तथा अति सरलता, सामान्यीकरण कल्पना तथा बुद्धिमता पूर्वक महत्त्वपूर्ण और सामान्य में भेद न कर पाने के दोषों से बचना आवश्यक है।" -विश्व ज्ञान संहिता-१, (सामाजिक विज्ञान), प्रधान सम्पा० मोटूरि सत्यनारायण; प्रकाशक-हिन्दी विकास समिति, मद्रास-नई दिल्ली, पृ० २५ "A Society is made up of two or more persons associating directly or indirectly, voluntarily or involuntarily. Society is thus a pattern of interpersonal behavior.” -Sanyal, B.S., Culture An Introduction, Bombay, 1962, p. 226. ३. Gavin, R.W. etc., Our Changing Social Order, Boston, 1953, p.9
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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