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________________ धार्मिक जन-जीवन एवं दार्शनिक मान्यताएं ३४७ द्वारा इस मन्दिर के कोष में एक सहस्र दीनार दान के रूप में भी दिये गए थे।'' (२) पार्श्वनाथ मन्दिर के निकटस्थ 'प्रपा' का निर्माण । ६. वर्भवती अथवा दमोई-वैद्यनाथ के 'शिव' मन्दिर के स्वर्णकुम्भों को मालवेश उतार कर ले गया था। वस्तुपाल ने इनकी पुनः स्थापना की। यहीं पर 'सूर्य देव' की प्रतिमा का भी निर्माण किया गया। १० माउण्ट प्रोडु (अर्बुदाचल)- मरल देव के मन्दिर का निर्माण । वस्तुपालचरित के अनुसार यह मन्दिर शत्रुण्जय पर बना था ।४ राजा कुमारपाल द्वारा मन्दिर निर्माण राजा कुमारपाल ने भी धार्मिक मनितो वे निमाण कार्य को बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया ।५ मेस्तुङ्ग की प्रबन्ध चिन्तामणि के अनुसार इनकी संख्या १४४० तथा चरित्रसुन्दरगरिण के अनुसार १४०० थी। हेमचन्द्र तथा सोमप्रभसूरि के अनुसार भी राजा कुमारपाल ने असंख्य जैन मन्दिरों का निर्माण किया। हेमचन्द्र के अनुसार प्रत्येक गांव में भी जैन मन्दिर था।" याश्रय के अनुसार कुमारपाल ने अणहिलवाड में 'कुमार विहार' तथा देव पत्तन में 'पार्श्वनाथ' मन्दिरों को बनवाया था। मेरुतुङ्ग द्वारा दी गई सूचनामों के अनुसार काम्बे (खम्भात) में 'दक्षिण विहार' तथा हेमचन्द्र से जन्म स्थान 'टनढका' (धंधूका) में 'झोलिका विहार' नामक दो मन्दिरों के निर्माण की भी सूचना प्राप्त होती है।६ कुमारपाल ने शत्रुजय तथा गिरनार प्रादि तीर्थ स्थानों का भी दर्शन किया। गिरनार में राजा ने एक बहुत बड़े राजमार्ग का भी निर्माण किया था। इस कार्य का दायित्व सौराष्ट्र के राज्याधिकारी प्राम्रदेव को सौंपा गया था। कुछ दूसरे साक्ष्यों के अनुसार इस कार्य को कुमारपाल के मंत्री वाग्भट ने पूरा किया था। १. वस्तु०, ६.५१८ २. सुकृत०, ११.३२ ३. सुकृत०, ११.३३, वस्तु०, ३.३७१ ४. सुकृत०, ११.३४, वस्तु०, ८.७६ ५. कुमारपालप्रतिबोध, पृ० ७५-७८, प्रभावकचरित १२.३८-४७, प्रबन्धचिन्ता मणि, पृ० २३८-३८, कुमारपालप्रवन्ध, पृ० ६६-१०४ ६. कुमारपालप्रतिवोध, पृ० ७५-७८, तथा प्रबन्धचिन्तामणि, पृ० २३८-३६ ७. महावीर०, १२.७५ ८. द्वया०, २०.६८-६६ ६. प्रबन्ध०, प० २३२ १०. Munshi, Glory that was Gurjara Desa, p. 362. 99. Seth, Jainism in Gujarat, pp. 77-78
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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