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________________ ३४६ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज जिन्हें आधुनिक अम्बा, गोरखनाथ, दत्तात्रेय तथा कालिकामाता शिखरों से अभिन्न माना जाता है । ( ७ ) आदिनाथ मन्दिर अथवा जिनपति मन्दिर के तोरण की स्थापना । वस्तुपालचरित के अनुसार यह तोरण इन्द्रमण्डप मन्दिर का था। 3 ( ८ ) भरुच ( भृगुपुर ) तथा साचोर ( सत्यपुर) में क्रमश: 'सुव्रत' तथा 'वीर' के मन्दिरों की स्थापना । वस्तुपालचरित के अनुसार ये दोनों मन्दिर प्रादिनाथ के दाएं तथा बाएं स्थित थे । इनमें से एक वस्तुपाल की पत्नी ललिता देवी, तो दूसरा उसकी दूसरी पत्नी सोस्यालता के निबने थे। ५ (६) श्रादिनाथ प्रतिमा के पीछे 'पृष्ठ- पट्ट' पदनिर्मारण । (१०) स्वर्ण द्वार को ऊपर उठाना। G ५. पदलितपुर ( पालिताना ) - ( १ ) विशाल सरोवर का निर्मारण करना (२) जैन उपाश्रय का निर्माण करना । ६. पालित ग्राम ( श्रंकवालिय ) - ( १ ) तडाग् निर्माण । १० ७. उज्जयन्त पर्वत ( गिरमार ) - ( १ ) स्तम्भन के 'पार्श्वनाथ' तथा शत्रुंजय के 'आदिनाथ' दो मन्दिरों का निर्माण करना । ११ गिरनार शिलालेखों से भी इन दोनों मन्दिरों के अस्तित्व की पुष्टि होती है । १२ किन्तु वस्तुपालचरित के अनुसार केवल 'श्रादिनाथ मन्दिर' का ही निर्माण हुआ था । १३ ८. स्तम्भतीर्थ ( स्तम्भन ) - ( १ ) नेमिनाथ तथा प्रादिनाथ की प्रतिमानों से युक्त पार्श्वनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार । १४ वस्तुपालचरित के अनुसार वस्तुपाल १. Arch. Sur. Rep. W. Ind, Vol. II, p. 170, 1.6 २. सुकृत ०, ११.२१ ३. वस्तु०, ६.६२६ ४. सुकृत ०, ११ २२ ५. वस्तु०, ६.६५६-५८ ६. ७. वही, ११.२४ ८. वही०, ११.१६, वस्तु०, ६.६७७, कीर्ति ०, ६.३६ सुकृत ०, ११.२३ ६. सुकृत ०, ११.२७ १०. ११. सुकृत०, ११.३० 13. Arch. Sur. Rep. W. Ind. Vol. II. p. 170, 1.6 १३. वस्तु०, ६.६६५ १४. सुकृत ०, ११.३१ सुकृत ०, ११.२६, वस्तु०, ६.६६०
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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