SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 370
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज विशेष अन्तर नहीं रह गया था।' पूर्वोक्त अष्टविध पूजन आदि के अवसर पर जैन धर्म की पूजा पद्धतियों में हिन्दू पूजा पद्धति के अनुरूप ही निम्नलिखित पूजासामग्रियों का प्रयोग किया जाता था (१) जल (२) दूध (३) दही (४) पुष्प (५) फल (६) माला (७) चन्दन (८) घूप (8) नैवेद्य (१०) जौ (११) घी (१२) सरसों (१३) तण्डुल (१४) लाजा (१५) अक्षत (१६) काले तिल (१७) दूब (१८) अर्घ्य (१९) चरु (२०) कपूर (२१) कृष्णागुरु (२२) कलश (२३) पत्र (२४) मधु (२५) खाण्ड (२६) तीर्थोदक (२७) पुरोडाश (२८) मधुपर्क (२६) हवि (३०) वस्त्र (३१) दीप आदि । अनेक प्रकार के इन मङ्गलद्रव्यों में से अन्न, नैवेद्य, पुष्प, फल, माला, चन्दन, धूप, अक्षत, दूध, दही, घी आदि द्रव्यों का सामान्य पूजा आदि के अवसर पर प्रायः प्रयोग होता था । हेमचन्द्र के कुमारपालचरित महाकाय से भी ज्ञात होता है कि सिद्धराज ने उज्जयन्त पर्वतस्थ नेमिनाथ की पूजा के अवसर पर ईक्षु रस, दुग्ध, घृत, दही, मधु तथा जल युक्त 'मधुपर्क' तथा फल-फूलों आदि विविध पूजा सामग्रियों का प्रयोग किया था। इसी प्रकार कीतिकौमुदी में वस्तुपाल द्वारा सोमनाथ तथा एकल्लवीरा देवी आदि की प्रतिमाओं की अर्चना करने पर भी उपर्युक्त पूजा सामग्रियों का उपयोग किया गया था। विविध पूजा द्रव्यों का अनुष्ठानफल धार्मिक अवसरों पर विविध प्रकार की पूजा सामग्रियों का विशेष माहात्म्य भी प्रतिपादित किया जाने लगा था। विविध प्रकार के ये द्रव्य पवित्रता, निरोगता आदि के प्रतीक माने जाते थे। जल-शान्ति का, पय-सन्तुष्टि का, दधि-कार्यसिद्धि का, दुग्ध-पवित्रता का, तण्डुल-दीर्घायु का, सरसों-विघ्ननाश का, तिल-वृद्धि का, अक्षत-पारोग्यता का, जौ- शुभ वर्ण का, घृत-शरीरपुष्टि का, फल-दोनों लोकों की भोगसिद्धि का, गन्ध (सुगन्धित पदार्थ)-सौभाग्य का, १. Munshi, Glory That was Gurjara Desa, p. 361 २. वराङ्ग० २३.१५, १८, २४, २५, २६--३०, कीर्ति०, ६.३७, ३६, ६.६५; प्रद्यु०, १४.४७ ३. वराङ्ग०, २३.२८, धर्म० ८.७, तथा प्रद्यु०, १४.४७ ४. कुमार०, ३.५.६, तथा द्रष्टव्य Munshi, Glory that was Gurjara Desa, p. 361 ५. कीर्ति०, ६. ३७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy