SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 365
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धार्मिक जन-जीवन एवं पाशं निक मान्यताएं कुमारपाल ने हेमचन्द्र के उपदेशों के माधार पर श्रावको द्वारा धारण किए जाने वाले बारह व्रतों को अङ्गीकार किया। प्रत्येक व्रत ग्रहण करने के बाद उसने स्वयं भी उन व्रतों का व्यावहारिक रूप से पालन किया तथा राजकीय स्तर पर भी उनके आचरण पर विशेष बल दिया। जैन द्वादश व्रतों की सामाजिक एवं राजनैतिक धरातल पर प्रासङ्गिकता सिद्ध करने की दृष्टि से कुमारपाल द्वारा किया गया यह प्रयोग गुजरात के इतिहास में प्राजमाई गई धर्ममूलक राजचेतना का एक विरल उदाहरण है। कुमारपाल ने जैन व्रतों के आचरण हेतु निम्न कार्य किए : १. प्रथम व्रत (अहिंसाणुव्रत)-सम्पूर्ण राज्य में प्राणिहिंसा का प्रतिषेध तथा अठारह अधीन प्रान्तों में उबाल कर पानी पीने के आदेशों को लागू करना।' २. द्वितीय प्रत (सत्याणुव्रत)-मधुर तथा सत्य भाषण करना तथा परिवार के सदस्यों से सरलता से व्यवहार करना । असत्य प्रयोग हो जाने पर पश्चाताप के रूप में तपश्चर्या करना । ३. चतुर्थ व्रत (ब्रह्मचर्याणु व्रत)-राजा द्वारा विवाह न करना । ४. पंचम व्रत (परिग्रहपरिमाणाणुव्रत)- अपनी सम्पत्ति को सीमित करना इसके लिए कुमारपाल ने छह करोड़ स्वर्ण मुद्राएं, आठ करोड़ दीनारें; एक सहस्र तोला सोना, दो हजार घृत-पात्र, पांच लाख अश्व, एक हजार ऊँट, पांच सौ घर, पांच सौ दुकानें, ग्यारह सौ हाथी, पांच हजार रथ, ग्यारह हजार अश्व तथा मठारह लाख योद्धाओं तक स्वयं को सीमित कर लिया। ५. षष्ठ व्रत (अनर्थदण्ड व्रत)-वर्षाकालीन समय में खेतों में हल चलाने का निषेध करना क्योंकि इस मौसम में अधिक जीवों के नष्ट होने की अधिक माशङ्का होती है। ६. सप्तम व्रत (भोगोपभोगपरिमाणवत)-२२ प्रभक्ष्य तथा ३२ अनन्तकाय वस्तुओं का सेवन बन्द करना ।' ७. वशम व्रत (सामायिकवत)-प्रतिदिन दो सामायिकों का नियमित रूप से अनुष्ठान करना । १. कुमारपालप्रतिबोध, पृ० ८१ २. वही, पृ. ८४-८५ ३. वही, पृ० ८४-८५ ४. वही, पृ० ८५ ५. वही, पृ० ८५-८६ ६. वही, पृ० ८७ ७. वही, पृ० ८८
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy