SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 215
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५ युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था ६८ तापनास्त्र'-प्रकाश फैलाने वाला अस्त्र । इसका दूसरा नाम 'प्रद्योत नास्त्र'२ भी है। ६६. भुजगास्त्र:-सर्पबाण सदृश अस्त्र । ७०. गरुडास्त्र--सर्पबाण का निवारक अस्त्र । ७१. प्राग्नेयास्त्र-युद्ध भूमि में अग्नि फैला देने वाला अस्त्र । ७२. मेधास्त्र-वृष्टि सञ्चार करने वाला प्रस्त्र । माग्नेयास्त्र का निरोधक । ७३. पर्वतास्त्र -पर्वत के समान भयंकर अस्त्र । ७४. वज्रास्त्र-पर्वतास्त्र का निवारक । ७५. तन्द्रास्त्र-सेना में तन्द्रा फैला देने वाला प्रस्त्र । ७६. उद्यमास्त्र-तन्द्रास्त्र का निवारक तथा पुनः स्फूर्तिदायक अस्त्र । ७७. सिद्धयस्त्र' १-सिद्धि प्रदान करने वाला शस्त्र । ७८. विघ्नविनायकास्त्र'२-शत्रु के 'सिद्धयस्त्र' का निवारक तथा स्वसेना के विघ्नों को शान्त करने वाला शस्त्र । ७६. पवनास्त्र13-युद्ध भूमि में पवनावेग द्वारा वृष्टि निरोधक अस्त्र। इसका दूसरा नाम 'वायव्यास्त्र' भी है।१४ ८०. पवननाशनास्त्र' ५–'पवनास्त्र' का निरोधक। ८१. चक्रयुधास्त्र१६-प्रङ्गों को काट देने वाला अस्त्र । ८२. त्रिपुरान्तकास्त्री तथा ८३. विधुतुदास्त्र ।१८ १. चन्द्र०, ६.१०४ (टीका, पृ० १६७) २. जयन्त०, १४.६६ ३. चन्द्र०, ६.१०५ (टीका पृ० १६७) ४. वही ५. चन्द्र०, ६.१०५ (टीका, पृ० १६७), जयन्त०, १४८४, हम्मीर०, ११.८० ६. चन्द्र०, ६.१०५, जयन्त०, १०.८६ ७. चन्द्र०, ६.१०५, जयन्त०, १६७ ८. वही है. वहीं १३. वही वही १२. वही वही १४. प्रद्युम्न०, १०.३६, जयन्त०, १४.८८ १५. जयन्त०, १४.६६ १६. वही, १४.१०० १७. वही, १४.१०० १८. वही, १४.६८
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy