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________________ युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था ८. सुचीमुख'-सुई के समान मुख वाला बाण विशेष । ६. वत्सवत्त-दन्त युक्त बाण जो 'अर्ध' चन्द्र से मिलता-जुलता था।' १०. अर्धचन्द्र -अर्ध चन्द्र के आकार वाला बाण विशेष ।५ ११. काण्ड -बाण विशेष । १२. अग्नि बाण -अग्नि बरसाने वाला बाण विशेष । १३. क्षुरप्र -छुरे के आकार वाला बाण विशेष । १४. भिन्डिपाल ° -एक हाथ लम्बा शस्त्र विशेष जिसका आगे का भाग झुका हुआ होता था एक बड़ी गांठ-दार टेढी लकड़ी से संयुक्त इस शस्त्र विशेष को बाए पांव से संचालित किया जाता था।११ काटना, आघात करना आदि इसके विविध प्रयोग संभव थे ।' २ १५. शक्ति 3-दो हाथ लम्बा शस्त्र विशेष जिसका मुख चौड़ा और खुला रहता था ।१४ नीतिप्रकाशिकाकार के अनुसार 'तोलन' 'भ्रामण, 'वल्गन', 'नामन', 'मोचन' तथा 'भेदन' रूप छह दृष्टियों से शक्ति का प्रयोग किया जा सकता था।१५ १. वराङ्ग०, १८.४२ २. वही, १८.४२ ३. Hopkins, J.A.O.S., Vol. 13, p. 279 ४. वराङ्ग०, १८.४२, प्रद्यु० १०.२५, सनत्कुमार०, २०.८३ ५. Hopkins, J.A. O. S. Vol. 13, p. 279 ६. कीर्ति०, ५.२५, हम्मीर०, १०.५७ ७. हम्मीर०, ११.८० ८. द्विस०, ६.२० ६. वही, पद० टीका १०. वराङ्ग, १४.१५, १८.४५ ११. नीति०, ४.३० १२. Dikshitar, War in Ancient India, p. 106 १३. वराङ्ग०, १४.१५, सनत्कुमार०, ११.६१, त्रिषष्टि०,४.१.६६० १४. Dikshitar, War in Anclent India, p. 106 १५. तोलनं भ्रामणञ्चैव वल्गनं नामनं तथा। मोचनं भेदनञ्चेति षण्मार्गारशक्तिसंश्रिताः ॥ नीति०, ४.३५
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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