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________________ युद्ध एवं सैन्य व्यवस्था १५१. द्वारा एक निर्बल राजा भी शक्तिशाली राजा का सामना कर सकता है । सामन्तवाद से प्रभावित शासन व्यवस्था में प्रायः प्रत्येक राजा साम्राज्य विस्तार हेतु: लालायित था । कुछ ऐसे उद्दण्ड राजा भी थे जो अपनी सैन्य सबलता की प्राड़ में. दूसरे राजाओं को डरा धमका कर अथवा अन्य किसी बहाने से युद्ध का भय दिखाकर दो प्रकार के लाभ प्राप्त करना चाहते थे - एक तो कोष संचय होता था, दूसरा भयभीत राजा अधीन होकर कर इत्यादि देना प्रारम्भ कर देता था, 12 इस प्रकार के उद्दण्ड राजा पहले अपने दूत को भेजकर अपना मांग पत्र उस राजा तक भिजवाते थे । 3 अधिकांश छोटे राजा तो युद्ध के भय से उस राजा के अधीन हो जाते थे । किन्तु ऐसे स्वाभिमानी राजा भी थे जो स्वयं भी अन्य सामन्त राजाओं के स्वामी थे तथा किसी दूसरे राजा की अधीनता स्वीकार करना स्वाभिमान के विरुद्ध समझते हुए युद्ध करना ही अधिक उपयुक्त समझते थे । ४ जैन संस्कृत महाकाव्यों में ऐसे अनेक प्रसङ्ग उपस्थित हुए हैं जिनमें उपर्युक्त पृष्ठभूमि में युद्ध हुआ । वराङ्गचरित में राजा इन्द्रसेन इसी प्रकार का राजा था जो ललितपुर के राजा देवसेन के मधुप्रभ नामक आदर्श हाथी को प्रेमपूर्वक न मांगकर बलपूर्वक छीन लेना चाहता था । इससे पूर्व भी वह अनेक राजाओं की धन सम्पत्ति को बलपूर्वक छीनने की चेष्टा कर चुका था । ६ देवसेन एक आदर्श राजा होने के कारण स्वाभिमानी था और शत्रु की कुटिल नीति के प्रागे झुकना नहीं चाहता था । बाद में उसके मन्त्रिमण्डल ने इस समस्या को हल करने के लिए कई सुझाव दिए । एक पक्ष के अनुसार राजा इन्द्रसेन देवसेन की अपेक्षा अल्प शक्तिशाली था इसलिये 'साम' तथा 'दान' का प्रयोग करना ही उपयुक्त था । परन्तु दूसरे पक्ष की मान्यता थी कि 'साम' एवं 'दान' का समय निकल चुका है केवल 'भेद' एवं 'दण्ड' के प्रयोग ही समस्या को नियन्त्रित कर सकते हैं । १० १. धर्म ०, १८.२७; वराङ्ग०, १६.४४; चन्द्र०, १२.७४, १०४ २. शौर्योद्धतावप्रतिकोश दण्डौ गृहीतसामन्तसमस्तसारौ । - वरांग०, १६.७ इतिवक्रमतिः स कैतवाहुतस्मानभिहन्तुमीहते ।। – चन्द्र०, १२.६५ ३. वराङ्ग०, १६.१०, चन्द्र०, १२.२० ४. वराङ्ग ० १६.२०, चन्द्र०, १२.६६ ५. वराङ्ग०, सर्ग १६, चन्द्र०, सर्ग १२, धर्म ०, सर्ग १८ ६. वराङ्ग०, १६.१-१० ७. वही, १६.५१.६१ ८. वही, १६.५०-७५ ६. वही, १५.५७ १०. वही, १५.७०; १६.६५-६६
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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