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जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज
इस अधिकारी का मुख्य कर्त्तव्य ग्राम दान तथा ग्रामों से आने वाले 'परिहार' आदि करों से सम्बन्धित व्यवहारों को देखना था ।' 'परिहार' आदि करों के सम्बन्ध में यह जानना आवश्यक है कि ये कर ग्रामों से प्राप्त होने वाले अठारह प्रकार के कर थे जिनकी सूचना भी पल्लववंश के अभिलेखों से प्राप्त होती है। इस प्रकार दक्षिण भारत में 'कुडुम्बनी' अथवा 'कोडिय' की साम्यता पर 'कोडुक्कपिल्लै' नामक प्रशासकीय पद स्वरूप से विशुद्ध राजकीय अधिकारी का पद रहा था तथा यह ग्राम सङ्गठन के आर्थिक ढाँचे को नियन्त्रित करता था।
इस प्रकार 'कुटुम्बी' विषयक जैन साहित्य एवं जैनेतर साक्ष्यों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रारम्भ में 'कोडिय' के रूप में गुप्तकालीन एवं मध्यकालीन 'कुटुम्बी' समाज सङ्गठन की न्यूनतम इकाई परिवार अथवा कुल के प्रधान के रूप में प्रतिनिधित्व करते थे। तदनन्तर पाँच अथवा उससे अधिक परिवारों के समूह–'ग्राम' के सङ्गठनात्मक ढांचे में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान बनता गया। मध्यकालीन ग्राम सङ्गठन में 'महत्तर' से कुछ छोटे पद के रूप में उनकी प्रशासकीय स्थिति रही थी। यही कारण है कि भूमिदान तथा ग्रामदान सम्बन्धी अभिलेखीय विवरण 'करद-कुटुम्बी' के रूप में इनकी उपस्थिति को रेखाङ्कित करते हैं। इतिहासकारों ने 'कुर्मियों' तथा 'कुन्बियों' के रूप में जिस कृषक जाति को 'कुटुम्बियों' का मूल माना है वह उस अवस्था का द्योतक है जब 'कुटुम्बी' ग्राम प्रशासन की अपेक्षा गोत्र अथवा जाति के रूप में अधिक लोकप्रिय होते चले गए थे तथा सङ्गठनात्मक ढाँचे में इनका स्थान 'जमीदारों' आदि ने ले लिया था । 'कुटुम्बी' के सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय है कि ये अधिकांश रूप से शूद्र थे। ब्राह्मण आदि वर्ण के रूप में भी इनका अस्तित्व रहा था । अधिकांश ग्राम शूद्रों द्वारा बसाये जाने के कारण ही वर्तमान में शूद्र 'कुन्बियों' तथा 'कुर्मियों' की संख्या अधिक है।
राजाओं तथा मंत्रियों को ऐतिहासिक वंशावलियां १. चाहमान वंशक्रम (अजमेर, शाकम्भरी तथा रणथम्भौर)
हम्मीर महाकाव्य में चाहमान (चौहान) वंश की वंशावली का वर्णन किया गया है। हर्षनाथ के शिलालेख (वि० सं० १०३०) बिजोल्या के शिलालेख (सं० १२२६) तथा पृथ्वी राजविजय (सं० १२४८) भी चाहमान वंश पर महत्त्व
१. Aiyangar, K.V.R., Some Aspects of Ancient Indian Polity,
Madras, 1938, pp, 118-9 २. वही, पृ० ११८ ३. तु०-अग्निपुराण, १६५.११, तथा देशी०, २.४८