________________
राजनैतिक शासन तन्त्र एवं राज्य व्यवस्था
११६
हम्मीर महाकाव्य के अनुसार यह भी ज्ञात होता है कि राजकुमारों को मंत्री का पद भी दिया जाता था।'
(ख) प्रान्तीय शासन व्यवस्था के महत्त्वपूर्ण उच्चाधिकारी
प्रान्तीय प्रशासन की महत्त्वपूर्ण इकाइयों में मण्डल, विषय (देश) आदि विशेषत: उल्लेखनीय हैं। मण्डल, विषय से बड़े होते थे ।२ 'मण्डलेश्वर' तथा विषयपति' नामक प्रान्तीय शासन के पदाधिकारी गुप्तकाल में विशेष प्रसिद्ध रहे थे। तदनन्तर मध्यकालीन शासन व्यवस्था में भी इनकी स्थिति थी। जैन संस्कृत महाकाव्यों में प्रान्तीय शासन व्यवस्था के उच्चाधिकारियों में से निम्नलिखित विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं
१. माण्डलिक- 'सामन्त' अथवा 'माण्ड लिक' राजा मन्त्रिमण्डल के महत्त्वपूर्ण सदस्य होने के साथ प्रान्तीय शासक भी होते थे। जैन संस्कृत महाकाव्यों में 'मण्डलेश',५ 'मण्डलपति'६ आदि संज्ञानों का प्रयोग प्रान्तीय शासक के अभिप्राय को स्पष्ट कर देता है।
२. नगराध्यक्ष मण्डलों तथा विषयों का उपविभाजन नगरों एवं ग्रामों के आधार पर होता था । त्रिषष्टि० में 'नगराध्यक्ष' का स्पष्ट उल्लेख हुअा है। 'नगराध्यक्ष' पुरों अथवा नगरों की शासन व्यवस्था की देखरेख करता था।
१. तु०-न्यधात् प्रल्हादनं राज्ये प्रधानत्वे च वाग्भटम् । -हम्मीर०, ४.४१ २. व्यास, चालुक्य कुमारपाल, पृ० १५०-५१ ३. वही, पृ० १५०-५१ ४. पीछे द्रष्टव्य, पृ० १११ ५. त्रिषष्टि०, २.४.२४३ ६. चन्द्र०, ३.७ ७. And the person in charge of the city (nagarādhyakasa) seems
to be incharge of the Law and Order and Civil defence of the city and the borders'.
-Puri, History of Indian Adm., p. 21 ८. तु०-मडम्ब-नगर-ग्रामादीनामधीश्वरम् । त्रिषष्टि०, २.४.१७० ६. त०-इत्याज्ञां नगराध्यक्षो, हस्त्यारूढैनिजैर्नरैः । पुर्यामाघोषयामास, सद्यो डिण्डिमिकैरिव ।।
-त्रिषष्टि०, २.४.३६६