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अन्वयः - रष ! [गुरूणामभीष्ट !] छ ! [स्वच्छ !] वह ! [श्रेष्ठसुख !]
कलिकुण्डप्रभो ! हे कलिकुण्डतीर्थेशपार्श्वप्रभो !] कडम् [दुःखशून्यम्] झडम् [रागरहितम्] थपम्यम् [श्रान्तपापियमम् शम् [सुन्दरम् खचम् [व्योमविमलम् अढम् [साधुसत्तमम्] दफम् [क्षीणलोभम् गम् [शुभम् टणम् [भूभूषणम्] धबम् [सुखसिन्धुम्] लम् [सर्वफलप्रदम्] सम् [ईश्वरम्] घजम् [अब्दशब्दम्] ठतम् [ज्ञानितारकम्] नभम् [सूर्यप्रभम्] त्वां तथा राजेन्द्रगुरुं नत्वा [त्वां तथा श्रीराजेन्द्रसूरीश्वरञ्च प्रणम्य] मुदे [स्वानन्दाय] अवशिष्टाक्षरैः [श्रीजिनराजस्तोत्र-श्रीजिनेन्द्रस्तोत्रशेषवर्णैः (कुकार-गोकाराभ्याञ्च)] अर्हत्स्तोत्रम् [श्रीअर्हत्परमात्मस्तोत्रम् प्रक्रियते [प्रारभ्यते ।
अर्हत्स्तोत्रम्