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________________ ब भारती गच्छके एक दैदीप्यमान सूर्य थे व आपके पट्टमें श्री नेमिचंद्र, श्री यश-कीर्ति, श्री भानुकीर्ति व श्रीभूषण भट्टारक हो गये थे व उनके पट्टपर आप ( श्रीधर्मचन्द्रनी ) अठारहवें सैके में विसनमान थे व आपने परमोपकारक श्री गौतमस्वामीकी भक्तिवश इस गौतमचरित्रकी सरल संस्कृत भाषामें रचना की थी उसीका यह सरल हिन्दी अनुवाद है । ग्रन्थका महत्व व विद्वान आचार्यकी कृति कायम रहे इसलिये मूल संस्कृत श्लोक भी हिन्दी टीकाके साथ २ रख दिये गये हैं जो संस्कृतज्ञोंको बहुत उपयोगी होंगे क्योंकि इसमें अनेक ऐसी २ उपयोगी बातें जैसे कि-स्त्रियां पूजन अभिषेक कर सकती हैं, आदि विषयोंका खासा निरूपण है । हमें आशा है इस ग्रन्थरत्नके पठनपाठनसे नैन समाजमें व्रतोंके धारण करनेकी अधिकाधिक रुचिहोगी क्योंकि श्रीगौतमस्वामीकाजीव अंतिम भवमें एक शुद्र कन्याके रूपमें था तब उसने अनेक कुकर्म किये व श्रीअंगभूषण मुनिपर घोर उपसर्ग किये थे, परन्तु धर्मोपदेशसे अंतमें उन्होंने लब्धिविधान व्रत विधिपूर्वक किया जिससे स्त्रीलिंग छेदकर यह जीव पांचवे ब्रह्म स्वर्गमें उत्पन्न हुआ व वहांसे चयकर ब्राह्मणनगरमें ब्राह्मण (वेदधर्मी)का पुत्र गौतम हुआ जिसने पीछे भगवान महावीरके मुख्य गणधरका पद प्राप्त करके अंतमें केवलज्ञान प्राप्त किया था।इस चरित्रके पठनपाठनसे विशेष लाभ यह भी होगा कि इसमें गौतमचरित्रके साथ २ महाराज श्रेणिक, भगवान महावीर आदिका संक्षिप्त वर्णन है तथा अंतिम अधिकार में तो भगवान महावीर क गौतम गणधरकी दिव्य ध्वनि (वाणी)का उपदेश इस ढंगसे लिखा गया है कि इससे सरल भाषामें सारे जैनसिद्धांतों-खासकर कर्म
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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