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0 प्रस्तावना। दिगंबर जैन समाजमें आजतक तीर्थकर व महापुरुषों के अनेक चरित्र, पुराण, कथाकोष, तात्विक ग्रन्थ आदि प्रकट होगये हैं, परंतु हमारे अंतिम तीर्थकर श्री महावीरस्वामीके मुख्य गणधर-श्री गौतमत्वामीका चरित्र जो अतीव जानने, मनन करने व स्वाध्याय करनेयोग्य है, आजतक प्रकट नहीं हुआ था व हम इसी खोनमें थे कि कहींसे गौतमचरित्रकी प्राप्ति होनाय तो उसका अवश्य २ प्रकाशन करें, इतने में हमें मालूम हुआ कि आदिपुराणादि अनेक धर्मग्रन्थोंके संपादन करनेवाले सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री. धर्मरत्न पं० लालारामजी शास्त्रीको देहलीके एक मंदिरसे गौतमचरित्र (संस्कृत भाषा ) की प्राप्ति हुई है और वे इसका हिन्दी अनुवाद लिख रहे हैं। यह जानकर हमें अतीव हर्ष हुआ और तुर्त ही पंडितनीसे इसका अनुवाद पूर्ण करवाया जो करीब दो वर्षोसे हमारे पास आया हा था परन्तु आपका ही अनुवादित एक और बड़ा ग्रन्थरत्न-श्री प्रश्नो. तर श्रावकाचार हम छपा रहे थे इससे इसके प्रकाशनमें विलंब हो गया था परन्तु अब तो यह ग्रंथ छपकर प्रकाशनमें आ रहा है।
इस ग्रन्थके रचयिता श्रीमान् मंडलाचार्य श्री धर्मचंद्रनी (भट्टारक) हैं जिन्होंने इस ग्रन्थको विक्रम संवत् १७२६में रघुनाथ महारानके राज्यशासनमें महाराष्ट्र नामक छोटे नगरके रुषभदेवके मंदिरमें बैठकर रचा था। इस ग्रन्थके अंतमें आपने अपना परिचय कराया है इससे मालूम होता है कि आप मूलसंघमें बलात्कारगण