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________________ १९२] गौतमचरित्र। देवोंकी उत्कृष्ट आयु कुछ अधिक एक पल्यकी है तथा व्यंतरोंकी जघन्य आयु दश हजार वर्षकी है और ज्योतिषी देवोंकी जघन्य आयु एक पल्यका आठवां भाग है ॥२२३॥ भवनवासी देवोंके शरीरकी ऊँचाई पच्चीस धनुष है, व्यंतरोंकी दश धनुष है और ज्योतिषियोंकी सत्रह धनुष है ॥२२४॥ पहले दूसरे स्वर्गमें देवोंकी उत्कृष्ट आयु दो सागर, तीसरे चौथेमें सात सागर, पांचवें छठेमें दश सागर, सातवें आठवेमें चौदह सागर, नौवें दशमें सोलहसागर, ग्यारहवें बारहवें में अठारह सागर, तेरहवें चौदहवेमें वीससागर और पंद्रहवें सोलहवें स्वर्गमें वाईस सागरकी उत्कृष्ट आयु है ॥ २२५ ॥ फिर आगे एक एक सागरकी आयु बढ़ती गई है अर्थात् पहले ग्रैवेयकमें तेईस सागर, दूसरेमें चौवीस, तीसरेमें पच्चीस, चौथेमें छब्बीस, पांचवेंमें सत्ताईस, छठेमें अट्ठाईस, सातवेमें उन्तीस, आठवेंमें तीस, नौवेमें इकतीस सागरकी है। नव अनुदिशोंमें बत्तीस सागरकी उत्कृष्ट आयु है और विजयादिक पांचों पंचोत्तरों में तेतीस सागरकी उत्कृष्ट आयु है॥२२६॥ इनकी जघन्य आयु पहलेके दो स्वर्गों में कुछ अधिक दशवर्ष महस्राणि पल्याष्टांशोऽवरा क्रमात् ॥ २२३ ॥ असुराणां च शेषाणां चापानि पंचविंशतिः। दशोत्तुंगः क्रमाद्भौमज्योतिषां दश सप्त च ॥ २२४ ॥ द्विसत दशवाायुः स्थितिः परा चतुर्दश । षोडशष्टादशो विंशो द्वाविंशतिश्च नाकिनाम् ॥२२५॥ नवग्रैवेयकस्थानामेकैकाधिकसागराः । द्वात्रिंशच त्रयस्त्रिंशन्नवसु पंचसु क्रमात्॥ २२६ ॥ अन्यादिद्वयकल्पेषु पल्योपमं च साधिकम् । सौधर्मादिषु
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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