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________________ १७२] गौतमचरित्र। हजार वर्ष, श्रीअरनाथकी चौरासीहजार वर्ष, श्रीमल्लिनाथकी पचपन हजार वर्ष, श्रीमुनिसुव्रतनाथकी तीस हजार वर्ष, श्रीनमिनाथकी दश हजार वर्ष, श्रीनेमिनाथकी एक हजार वर्ष, श्रीपार्श्वनाथकी सौ वर्ष और श्रीवर्द्धमानकी बहत्तर वर्षकी आयु थी ॥१.१२-११५॥ श्रीषभदेवके मोक्ष जानेके बाद पचास लाख करोड़ सागर बीत जानेपर श्रीअजितनाथ उत्पन्न हुए थे ॥ ११६ ॥ अजितनाथके मोक्ष जानेके बाद तीस लाख करोड़ सागर वीत मानेपर श्रीशंभवनाथ उत्पन्न हुए थे, इनके मोक्ष जानेके बाद दश लाख करोड़ सागर वीत जानेपर श्री अभिनन्दननाथ उत्पन्न हुए थे, इनके मोक्ष जाने बाद नौ लाख करोड़ सागर वीत जानेपर श्रीसुमतिनाथ उत्पन्न हुए थे, इनके सिद्ध होनेपर नव्वे हजार करोड़ सागर वीत जानेपर श्री पद्मप्रभ उत्पन्न हुए थे ॥ ११७ ॥ इनके मोक्ष जाने बाद नौहजार करोड़ सागर वीत जानेपर श्रीसुपार्श्वनाथ हुए थे, इनके बाद नौ सौ करोड़ सागर वीत जानेपर श्रीचन्द्रप्रभ हुए थे फिर नव्वे करोड़ सागर वीत जानेपर श्रीपुष्पदंत हुए थे और सहस्राणि सपंचनवतिः क्रमात् ॥११४॥ चतुरशीतिकं पंच पंचाशत्रिंशकं दशम् । सहस्रैकं शतं प्रोक्तं श्रीवीरायुढिसप्ततिः ॥ ११५॥ पंचाशल्लक्षकोटीनां समुद्रेषु गतेषु च । सिद्धि प्राप्ते वृषाधीशेऽजितनाथोद्भवोऽभवत् ॥११६॥ त्रिंशच शंभवोत्पत्तिर्दशाभिनंदनो नव । सुमतिः पद्मकांतिश्च सनवतिसहस्रके ॥११५॥ सुपार्थो नव चंद्रेशो नव शतानि वै मता। नवतिः पुष्पदंतश्च कोटयो नव च शीतल:
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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