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________________ [ १७१ पांचवां अधिकार। थे और भव्य जीवोंको संसारसागरसे पार करदेनेके लिये जहाजके समान थे ॥१०७-११०॥ जब तीसरे कालमें तीन वर्ष साडेआठ महीने वाकी रहे थे तब श्रीकृषभदेव मोक्ष पधारे थे और जब चौथे कालमें तीन वर्ष साडेआठ महीने बाकी रहे थे तब श्रीमहावीरस्वामी मोक्ष पधारे थे ॥१.१२॥ श्रीषभदेवकी आयु चौरासीलाख पूर्व थी, श्रीअजितनाथकी बहत्तर लाख पूर्व, श्रीशंभवनाथकी साठलाख पूर्व, श्रीअभिनंदननाथकी पचासलाख पूर्व, श्रीसुमतिनाथकी चालीसलाख पूर्व, श्रीपद्मप्रभुकी तीसलाख पूर्व, श्रीसुपावनाथकी वीसलाख पूर्व, श्रीचंद्रप्रभकी दशलाख पूर्व, श्री पुष्पदंतकी दो लाख पूर्व, श्रीशीतलनाथकी एकलाख पूर्व, श्रीश्रेयांसनाथकी चौरासी लाख वर्ष, श्री वासुपूज्यकी बहत्तरलाख वर्ष, श्रीविमलनाथकी साठलाख वर्ष, श्रीअनंतनाथकी तीसलाख वर्ष, श्रीधर्मनाथकी दशलाख वर्ष, श्रीशांतिनाथकी एक लाख वर्ष, श्रीकुंथुनाथकी पिचानवे ॥१०८॥ धर्मः शांतिस्तथा कुंथुररश्च मल्लिनायकः । सुव्रतेशो नमिनेमिः श्रीपार्थो वईमानकः ॥१०९॥ तीर्थंकराश्चतुर्विंशाश्चतुर्थसमये शुभाः । जाता मदनजेतारों भव्यतारणपोतकाः ॥११०॥ त्र्यब्दसाख्रष्टमासस्थे तृतीयतुर्यकालयोः । शेषे वृषभसन्मत्योर्मुक्तिरभूच्च शास्वती ॥ १११ ॥ चतुरशीति लक्षाणां पूर्वमायुर्वृषेशिनः । ततो द्वासप्ततिः षष्ठिः पंचाशच्च क्रमान्मतम् ॥ ११२ ॥ चत्वारिंशत्तथा त्रिंशदिशतिश्च दश द्विकम् । एकं ततोऽब्दं लक्षा बै-अशीतिकचतुरु-:. . त्तरा ॥११३॥ द्वासप्ततिस्तथा षष्ठिस्त्रिंशदश तथैकको । ततो वर्ष
SR No.023183
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya, Lalaram Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1926
Total Pages214
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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