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• पाश्वनाथ चरित्र
धरोने द्वादशाहीकी रचना की। इसके बाद भगवानने उठकर शक्रन्द्र द्वारा रखथालमें रखा हुआ दिव्य वासक्षेप उनके सिरपर डाला। तदनन्तर दुदुभी नादपूर्वक संघकी स्थापना कर उन्हें समुचित शिक्षा दी। और प्रथम पोरषी पूर्ण होनेपर देशना समाप्त कर, भगवान दूसरे गढ़में ईशानकोणमें देवताओंके रखे हुए दिव्य देवच्छंदमें चले गये और वहीं जाकर विश्राम करने लगे।
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