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श्र
षष्ठ सर्ग।
एक दिन श्रीपार्श्वप्रभु अपने महलके झरोखेमें बैठकर काशो पुरोको शोभा देख रहे थे। इतने में पूजाकी सामग्री लेकर नगरके बाहर जाते हुए नगर निवासियोंको देखकर.पूछा--"आज सब लोग दहो, दूध, पत्र, पुष्प और फल आदि सामग्री लेकर प्रसन्नता पूर्वक नगरके बाहर कहां जा रहे है ? क्या कोई विशेष उत्सव है या देव यात्रा है ?" पार्श्वकुमारका यह प्रश्न सुनकर एक कर्मचारीने कहा
- "हे कृपानिधान स्वामिन् ! कमठ नामक एक तपस्वीका जंगल में आगमन हुआ है। वे तप करते हुए पंचाग्निकी साधना करते हैं। उन्हींको पूजा करने यह सब लोग जा रहे हैं।” अनुचरकी यह बात सुन पार्श्वप्रभु भी कौतुकवश घोड़ेपर सवार हो सेवकोंके साथ उसे देखनेके लिये चले। वहां जाकर उन्होंने देखा कि कमठ ताव पंचाग्निमें बैठा हुआ, धूम्रपान और अज्ञान कष्टसे देह-दमन कर रहा है। इसो समय तीन ज्ञानके धारक पार्श्वप्रभुने देखा कि