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महाबलकी कथा ।
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भारतवर्षके श्रीपुर नामक नगरमें मानमर्दन नामक एक राजा राज करता था । जैसा उसका नाम था वैसाही उसमें गुण भी था । उस नगरमें महाबल नामक एक बलिष्ट कुल पुत्र रहता था । उसके मातापिता बाल्यावस्था में ही मर गये थे, अतएव वह परम स्वतन्त्र हो रहा था । कुसंगतिके प्रभावसे उसे द्यूतका व्यसन लग गया और धीरे धीरे वह सातो व्यसनोंमें लिप्त हो गया। किसोने सच ही कहा है कि:
द्यूतं च मांसं च राच वेश्या, पापाद्धि चौथं परदार सेवा ।
एतानि सप्त व्यसनानि लोके,
घोराति घोरं नरकं नयंति ॥
अर्थात् - "जूआ, मांस, मदिरा, वेश्या-गमन, शिकार, चोरी परदार- सेवा - यह सातों व्यसन मनुष्यको भयंकर नरक में ले जानेवाले होते हैं ।”
इन व्यसनोंके फेर में पड़कर महाबल एक दिन रात्रिके समय