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________________ AMMAD 11111 - दूसरा सर्ग सागरचन्द्र का वृत्तान्त | सागरका राजभुवन में सत्कार । स जम्बूद्वीप में, पश्चिम महा विदेह के अन्दर, शत्रुओं से अपराजित, अपराजिता नामकी नगरी थी। उस नगरी में, अपने बल पराक्रम से जगत् को जीतनेवाला और लक्ष्मी में ईशानेन्द्र के समान ईशानचन्द्र नामक राजा था। वहाँ एक बहुत बड़ा धनी चन्दनदास नामक सेठ रहता था । वह सेठ धर्मात्माओं में अग्रणी और संसार को आनन्दित करने में चन्दन के समान था । उसके जगत् के नेत्रों को सुखी करने वाला सागरचन्द्र नामका पुत्र था । जिस तरह चन्द्रमा समुद्र को आह्लादित और आनन्दित करता है; उसी तरह वह अपने पिता को आनन्दित और आह्लादित करता था । स्वभाव से ही सरल, धार्मिक और विवेकी सागरचन्द्र सारे शहर का
SR No.023180
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorPratapmuni
PublisherKashinath Jain Pt
Publication Year1924
Total Pages610
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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