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________________ कल्पान्तर्वाच्यः ] नेमिकुमारस्य बालक्रीडाः __[६१ तो भीओ खामेइ पाए पडिऊण जिणवरिंदस्स । संहरइ मेह-पडलं पणमिय पत्ता नियं ठाणं ।। ६६३॥ सिवपुरीए दिण-तियगं छत्तं धरियं जिणस्स सीसे जं। अहिणा तो सा जाया अहिच्छत्ता नामओ नयरी ।। ६६४॥ इति श्री पार्धजिन-चरित्रम् ।। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावण-सुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स पंचमी-पक्खे णं नवण्हं मासाणं जाव चित्ताहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा आरोग्गं दारयं पयाया। जम्मणं समुद्दविजयाभिलावेणं नेयव्वं, जाव तं होउ णं कुमारे अरिठ्ठनेमी नामेणं॥ अरहा अरिट्ठनेमी दक्खे जाव तिण्णि वाससयाई कुमारे अगारवासमझे वसित्ता णं पुणरवि लोगंतिएहिं जीअकप्पिएहिं देवेहिं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता॥ सूत्र १७२ ।। नव नव करुच्च-भूगय बारस-कर-पिहुल-पवरवप्पाए। नव जोयण पिहुलाए तह बारस जोयणायायाए॥६६५॥ धणवइ-विणिम्मियाए बारवईए य पहाणनयरीए । छप्पण्णब्जंतर-बहि बिसयरि कुलकोडिवासाए । ६६६॥ समुद्दविजयाइ य दस दसार-बलदेव-पमुह-पण-वीरा। उग्गसेणाइ सोलस सहस्स भूमीहरा पहाणयरा ।। ६६७॥ अद्भुट्ठकोडि-पज्जुण्ण-पमुहकुमारा तह य संबाइ। दुइंत-कुमर तह वीरसेणाइ वीर बार सहस्सा ।। ६६८॥ इच्चाईहिं जुत्तो सिरि कण्हो कुणइ रज्जमइगुरुयं । तदणुजो य सिरिनेमी आबाला बंभयारी जो।। ६६६॥ विसयसुह-निप्प[प्पि?]वासो रमइ जिणो पवरकुमर-परिवरिओ। अहऽण्णया कयाइ पभणइ जणणी सिवा-देवी।।७००॥ वच्छ! पमोयं मे कुरु विवाह-करणेण तो भणइ य जिणो। जइया लभिस्सं कण्णं जुग्गं तइया करिस्सामि ।।७०१॥ एवं वुत्ते माया जुग्ग-कण्णाभिलासुओ एसो।। संतुट्ठा गमइ दिणे जिणोवि कीलापसत्तो य॥७०२ ॥
SR No.023172
Book TitleKalpantarvcahya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherSharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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