________________
इन्द्रभूति-अग्निभूतिसंवादः
[ कल्पान्तर्वाच्य आगासे सूर-दुयं गुहाए एगाए होई सीह-दुगं? पडियारे खग्ग-दुर्ग किं सव्वण्णो अहं एसो॥ ५८२॥ किं इंद-जालिओ वा विदेस-जाओ वा को कलासाली। सवण्णाडोवेण सग्गि-जण-पयारगो एसो॥ ५८३॥ लोए पुच्छइ भो! भो! सव्वण्णू केरिसो य? ते बिति। को जाणे तस्स रूवं तिलोयविम्हयकरं जाण ॥ ५८४ ॥ तो सो झायइ नूणं मायाए मंदिरं वियाणामि। कह समत्तो लोओ विब्ममे पाडिओ अमुणा॥ ५८५॥ खणमित्तं न खमेहं सव्वण्णत्तं च तस्स वा सूरो। किं अंधयार-पसरं विणासणत्थं विलंबेइ॥ ५८६॥ कर-फरिसं अग्गी वा सीहो सावय-सरं व नो सहइ। जेण मया वादिंदा तुण्हीभावं कया सव्वे ॥ ५८७॥ सेला जेणऽग्गिणा दड्डा तत्पुरो के य पायवा। उप्पाडिया गया जेण का वाउस्स पुंभिया॥५८८॥ अग्गिभूई तओ भणइ भाय! को इत्थ विक्कम्मो । कीडियाए कहं पक्खि-राया करइ विक्कमं? ॥ ५८६॥ पउमस्सुप्पाडणे हत्थी परसू कास कत्तणे। मियस्स मारणे सीहो किं पहाणेहिं सस्सए॥ ५६०॥ गोयमो भायरं पाह भो! अज्जा वि हु चिट्ठइ। वाई एसो कए मुग्ग-पागे कंकडुओ जहा।। ५६१॥ एगमि अजिए वच्छ! सव्वं पि अजिअं भवे । एगवारं सई लुत्त-सीला असई सव्वया॥५६२॥ लाडा दूर-गया य. वाइ-णिवहा मोणंसिया मालवा मूयाभा मगहा गया गयमया गजंति नो गुजरा। कासीरा पणया पलायणगरा जाया तिलंगोद्भवा विस्सेया वि स नत्थि जो हि कुणइ वायं मया संपयं ॥ ५६३ ॥
शार्दूलविक्रीडित-वृत्तम् किण्ह-सप्पस्स मंडूओ चवेडं दाउमुज्जुओ। मूसो दंतेहिं मजार-दट्ठा पायाय सायरो॥ ५६४ ॥