SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कल्पान्तर्वाच्यः ] आश्चर्याणि [ १७ वा आयाइस्संति वा, कुच्छिंसि गब्भत्ताए वक्कमिंसु वा वक्कमंति वा वक्कमिस्संति वा नो चेव णं जोणी - जम्मण-निक्खमणेणं निक्खमिंसु वा निक्खमंति वा निक्खमिस्संति वा ॥ सूत्र १८ ॥ लोगच्छेय उवसग्ग गब्भहरणं इत्थी - तित्थं अभाविया परिसा । कण्हस्स अवरकंका अवयरणं चंद-सूराणं ॥ १८४ ॥ हरिवंसकुलुप्पत्ती चमरुप्पाओ य अट्ठ सय - सिद्धा । अस्संजयाण पूया दस वि य अणंतेण कालेणं ॥ १८५ ॥ वीरवरस्स भगवओ उवसग्गा अइबहू य संजाया । छउमत्थ- काल-भावे केवलि - भावे य तं चुज्झं ॥ १८६ ॥ भावहार आसी वीरजिणिंदस्स बीययं चुज्झं । सक्काएसेण कयं हरिणेगमेसिणा सुरेणं ।। १ ८७ ॥ तइयं इत्थी- तित्थं मल्लिजिणंदस्स आसि तं च इमं । जंबूदीवे दीवे अवर - विदेहे वियाणाहि ॥ १८८ ॥ सलिलावई य विजया वीयसोयाइ महाबलो राया । बाल-छ- मित्त-समेओ पडिवन्नो संजमं पवरं ॥ १८६ ॥ अहिय- तवो माया इत्थी - वेयं च तित्थयर - गोयं । बंधित्ता ठाणेहिं वीसेहिं सुरो वैजयंते ॥ १६० ॥ तत्तो चुओ य मिहिला - निव- कुंभ- पभावइइ कुच्छंसिं । उप्पन्नो थी- रूवो मल्लिनामेण जिणनाहो ।। १६१ ।। तइयं एअं चुज्झं चउत्थं पुण वीरजिणवरिंदस्स । लाभाभावा अहला आसी तद्देसणा नूणं ॥ १६२ ॥ पंचमगं पुण एयं जायं जं कण्ह-वासुदेवस्स । धायइसंडमरकंक - रायहाणीइ जं गमणं ॥ १६३ ॥ कह हथिणपुर - नगरे पंडु-सुया पंच जुहिट्ठलप्पमुहा । दोवइए देवीए वारेण सुहं अणुहवंति ॥ १६४॥ अवमाणओ नारय-रिसी गओ पउमराय-नयरीए । उवरोहे उवविट्ठो कुणइ से सायरो विणयं ॥ १६५ ॥
SR No.023172
Book TitleKalpantarvcahya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherSharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1997
Total Pages132
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy