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(५४) श्रीप्रश्नोत्तरप्रदीपे. ३५ प्रश्न-ज्ञान अने प्रमाणमां शो विशेष छे ? उत्तर-कंइ विशेष नथी शाथी के जे स्वपरवस्तुने निश्चय कर
नारं ज्ञान तेज प्रमाण. यदुक्तंश्रीवादिदेवमूरिकृतप्रमाणनयतत्त्वालोकालङ्कारे " स्वपरव्यवसायिज्ञानंप्रमाणम्” इति
अने ते प्रमाण प्रत्यक्ष, अने परोक्ष, एवा बे भेदवाळं छे. तेमां जे प्रत्यक्ष, ते अनिन्द्रियजन्य एवा अवधि, मनःपर्याय, अने केवल, ए त्रण ज्ञानरूप छे. तेमां पण अवधि, अने मनःपर्याय, ए बे ज्ञान देशप्रत्यक्ष छे. अने केवलज्ञान ते सकलप्रत्यक्ष छे. हवे बीजो भेद जे परोक्ष, ते इन्द्रियजन्य एवां मति, अने श्रुत, ए वे ज्ञानरूप छे. वळी कोइ ठेकाणे मति, अने श्रुत, ए बे ज्ञानने व्यवहारथी प्रत्यक्ष व्यपदेश पण मानेलो छे. आ ठेकाणे भारे विस्तार छे, ते श्रीनन्दीसूत्र,तत्त्वार्थवृत्ति,रत्नाकरावतारिकादिग्रन्थोथी
समजवो. ३६ प्रश्न-चार प्रमाण छतां पूर्वोक्त प्रश्नोत्तरमां बे प्रमाण केम कयां ?
उत्तर-अनुमान, उपमान, अने आगम, ए त्रण प्रमाणनो परोक्ष . प्रमाणमा अन्तर्भाव करीने बे प्रमाण कह्यां छे. ३७ प्रश्न-आजकाले आ भरतक्षेत्रमा जातिस्मरण, अने अवधिज्ञान
__ पामीए के नहीं ? उत्तर-तेवा गुण नहिं व्यवच्छेद थवाथी कोइ वखते पामीर पण
खरा एम श्रीलोकप्रकाशप्रमुखशास्त्रोथी समजाय छे. ३८ प्रश्न-जातिस्मरणज्ञानवालो पोताना केटला पाछला भवदेखे ?