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________________ द्वितीयः प्रकाशः ( ४७ ) र्मकथासूत्रादिकमां कहेलुंछे. अने श्रीउत्तराध्ययन सूत्रवृतिमां अच्युतदेवलोके गई एमकहेलुंछे. ते मतान्तरछे. • २१ प्रश्न - युधिष्टिर विगेरे 'पांचपांडवाने द्रौपदी पासे जवाना वारा हता के कम ? उत्तर - हा, वाराहता अनेते मर्यादा नारदमुनिए बतावीहती अत्र विशेषाधिकार पाण्डवचरित्रादिकथी जाणवो. २२ प्रश्न - नारदमुनि सम्यग्दृष्टिछे, के मिध्यादृष्टिछे ? उत्तर - श्रीपद्मचरित्रादिशास्त्रोने अनुसारे सम्यग्दृष्टि अणुव्रतधारीछे, एम समजायछे अने श्रीज्ञातधर्मकथासूत्र, प्रश्नव्याकरणसूत्रवृत्ति वीगेरे शास्त्राने अनुसारे ते मिथ्यादृष्टि छे एम समजाय छे. २३ प्रश्न - पद्मोत्तर राजाए पोताना मित्र देवपासे द्रौपदीतुं हरण कराव्य ते देव कइ निकायनो हतो ? उत्तर--भुवनपतिनिकायनो हतो एम श्रीपांडवचरित्रथी समजायछे २४ प्रश्न - भीष्म पिता कएठेकाणे कोनीपासे चारित्र लेइ क्यां गया ? उत्तर — ब्रह्मचर्यव्रतधारक, गङ्गापुत्र, भीष्मपितामह, कुरुक्षेत्रनी नजीकम रहेल कोइ पर्वतनी गुफामां श्रीमुनिचन्द्रसूरिना ' १ युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, सहदेव, अने नकुल, ए पांचपांडुराजानापुत्र तेथी पांडव जाणवा. तेमां प्रथमना मुख्य त्रण पुत्र कुंतीराणीथी अने ते सीवायना वे पुत्र माद्री राणीथी उत्पन्न थला छे. एम जाणवुं. २ कुरुक्षेत्र, एटले जे ठेकाणे कौरव अने पांडवोनु युद्धथयु ते एक मोडुं रणमेदान के जेने हाल पाणिपत कछे.
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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