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________________ श्रीप्रश्नोत्तर प्रदीपे. अथ द्वितीयः प्रकाशः प्रणम्य श्री महावीरं सिद्धार्थनृपनन्दनम् ॥ ग्रन्थस्यास्य प्रकाशोयं द्वितीयोथवितन्यते ॥ १ ॥ ( ३८ ) १ प्रश्न - गृहवासे रहेला तीर्थङ्कर देव कोइनो दीक्षा महोत्सव करे ? उत्तर - हा, करे दृष्टान्त तरीके श्री अजितनाथ भगवाने पोताना पिताश्रीनो करेलो छे. यदुक्तंश्रीत्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्रे. 'श्रीमानजितनाथोपिजितशत्रोस्तदैवहि || ऋध्यामहत्या विधिवच्चक्रे निष्क्रमणोत्सवम् ॥ १ ॥” २ प्रश्न - श्री अजितनाथ भगवानना पिताश्री दीक्षापाली क्यांगया ? उत्तर - मोक्षेगया. एमश्रीत्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित्रमांकसुंछे, तथाचतच्च स्त्रिम्. "" 1 66 उत्पन्न केवलज्ञानः शैलेशी ध्यानमास्थितः || क्षीणाष्टकमसंप्रापक्रमेणपरमं पदम् ॥ १ ॥ " अने श्रीप्रवचनसारोद्वारना वारमा द्वारमांतो बीजे देवलोके गया एम कलु तत्त्वनी वात श्रीसीमंधरस्वामी जाणे. ३ प्रश्न - सिद्धशिला तथा सिद्धना जोवो क्यांछे ? उत्तर - सर्वार्थसिद्धविमानथी बार योजन उपर पीस्तालीस लाख योजन लांबी पहोली सिद्धशिला छे अने ते सिद्धशिला १ जितशत्रुराजर्षिः
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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