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________________ श्रीप्रश्नोत्तरपदीपे. उत्तर-श्रीरवतगिरिने विषे मोक्षे जशे. एम पं० श्रीवीरविजयगणि कृतदेववंदनमां क० ६८ प्रश्न-केटलाक कहे छे के रावण आवती चोवीशीमां तीर्थङ्कर थवाना छे ते वात खरी छे ? उत्तर-श्रीसमवायाङ्गसूत्रादिकमां ज्यां श्री पद्मनाभादिक २४ तीर्थकरना पूर्व भव संबंधी नामो दर्शावेल छे, त्यां "रावण" ए, नाम बीलकुल आवतुं नथी माटे पूर्वोक्त वात खरी नथी. खरी वात तो ए छे के रावण अने लक्ष्मण बन्ने चौदमे भवे तीर्थकर थइ मोक्षे जशे. आ ठेकाणे घणी विस्तार वात छे, ते श्रीहेमचन्द्राचार्यकृतश्रीजैनरामायणथी जाणवी. ६९ प्रश्न-उत्सर्पिणी कालमां छेल्ला तीर्थकरनुं तीर्थ क्यां सुधी चालशे ? उत्तर-श्री ऋषभदेव भगवाननो एक हजार वर्षे न्युन एक लाख पूर्वनो केवलज्ञानपर्याय कह्यो छे तेवा संख्याता ज्ञानपर्याय सुधी चालशे. एम श्री प्रवचनसारोद्धारमा कयुं छे श्रीभगवतीसूत्रवृत्तिमां पण तेमज कहुं छे. ___ यदुक्तंश्रीप्रवचनसारोद्धारे. "उस्सप्पिणीअंतिमजिणतिथ्यंसिरिरिसहनाणपज्जायासंखिज्जाजावईयातावयमाणंधुवंभविही ॥१॥” श्रीभगवतीसूत्रवृत्तावपितथैवप्रोक्तम् ७० प्रश्न-महाविदेहविजयमां एक केवलिजिन, अथवा छद्मस्थजिन .. विचरता होय त्यारे अन्य तीर्थकरोनो जन्मादि होय ?
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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