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प्रथमःप्रकाश
यतः
"तेपंडियाजेविरयाविरोहे” इतिश्रीगौतमकुलकवचनात् ॥
आ वचनपरथी एम पण सिद्धता थाय छे के जे परस्पर
विरोध करनारा छे, ते तत्त्वथी पण्डितो न जाणवा. १७ प्रश्न-श्री जिनभवन बंधाववा कयो माणस अधिकारी छे ? उत्तर--जे माणसे न्यायथी धन उपार्जन करेलुं छे, तेम जे बुद्धिमान
छे, मनोहर आशयवालो छे, सदाचारी छ, तथा जे गुर्वादिकथी अनुमत थएलो छे, तेज माणस श्रीजिनभवन - धारवाने अधिकारी छे.
"न्यायोपार्जितवित्तोमतिमान् स्फीताशयः सदाचारः॥ गुर्वादिमतोजिनभवनकारकः सोधिकारीस्यात् ॥१॥" १८ प्रभ-अन्यायथी उपार्जन करेलु द्रव्य क्या सुधी रहे छे ? उत्तर--तेवु द्रव्य फक्त दश वर्षो सुधीज रहे छे. पण शोलमुं वर्ष आवते छते ते मूल सहित नाश पामे छे..
__ तथाचोक्तम्. “ अन्यायोपार्जितंवित्तं दशवर्षाणितिष्ठति ॥
षोडशमेवर्षेप्राप्ते समूलञ्चविनश्यति ॥१॥" १९ प्रश्न-आ चपळ लक्ष्मीनुं फळ शुं ते कहो.