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पञ्चमःप्रकाश
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अथपञ्चमःप्रकाशः
प्रणिपत्यप्रभुंपार्श्वपार्श्वयक्षसुसेवितम् ॥
ग्रन्थस्यास्यप्रकाशञ्चकुर्वेहननुपञ्चमम् ॥ १॥ १. प्रश्न-रात्रिए देवपूजादिशुभकार्य थाय ? उत्तर-न थाय एम शास्त्रमा कहेलं छे, वळी श्रीभगवतीसूत्रमा रा
त्रिए अशुभपुद्गलपरिणाम कह्यो छे, शुभपुद्गलपरिणाम कह्यो नथी. शुभपुद्गलपरिणामतो पुद्गलद्रव्यशुभतानिमित्तभूतसूर्यना किरणोना स्पर्शथी दिवसेज कह्यो छे. ते परथी पण अत्र सिद्ध थाय छे के रात्रिए देवपूजादि शुभ कार्य न थाय. वळी अन्यशास्त्रोमां पण रात्रिए शुभकार्यकरवा वर्जेला छे अने ते वात अमे चोथा प्रकाशमां रात्रि. भोजनसंबंधीप्रश्नोत्तरविषे कहेली छे ते त्यांथी जोइ लेवी
इत्यादिः २ प्रश्न-मर्त्यलोकनो दुर्गध उंचो क्यां मुधी जतो हशे ? उत्तर-मनुष्यलोकनो दुर्गध चारसे पांचसे योजन सुधी उंचो जाय
छे अने तेथी करीने पण देवता अत्रे आवता नथी, एम संग्रहणीसूत्रमा कर्जा छे अने ते नीचे मुजब.
यदुक्तम्. "चत्तारिपंचजोयणसयाइंगंधोमणुअलोअस्स ॥ उईवञ्चइजेणंनहुदेवातेणआवंति ॥१॥” इति