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________________ (१७) ७२ स्वर्गमा वनखण्डादि जे कहुं छे ते पृथ्वीपरिणामरूपे के वनस्पतिपरिणामरूपे समजवु ? .... .... १०१ ७३ स्वर्गमा पुष्करणी (वाव) वीगेरे स्थले मच्छादिक, जे, कह्या छे, ते जीवपरिणामरूप छे, के ते आकारमात्र धरनाराओ छे. .... .... .... १०१ ७४ देव, देवीसाथे मूलशरीरे करी, के उत्तरवैक्रियशरीरे ___करी भोगकर्म करे. ..... .... ... १०२ ७५ विजयराजधानीनो कील्लो केटलो उंचो कह्यो छे. १०२ ७६ अणपनीय, पणपनीय, आदि आठ व्यन्तरविशेषनिकाय क्यां वसे छे. .... .... १०२ ७७ एकावतारी देवोने छ मास आयुष्य बाकी रहे छते च्यवन चिन्हो उपने? ___..... १०४ ७८ लवसप्तमदेवता कया समजवा ? .... .... १०५ ७९ चोवीशमभुना चोवीश लंछन कहो. ..... .... १०५ ८० श्रीऋषभादि चोवीश जिनना वर्ण कहो. .... १०६ ८१ श्रीऋषभादि चोवीश जिन कया कुळमां उत्पन्न थया ? १०६ ८२ परमार्थ जाण्या विना अर्थ कहे ते केवो जाणवो ? .... १०७ .... चतुर्थःप्रकाशः १ सर्वसंवररूपचारित्र कएगुणठाणे होय ? .... १०९ २ तामलीतापसने क्यारे समकितनी प्राप्ति थइ ? .... १०९ ३ विग्रहगतिने पामेलो कोइ जीव अग्निकाय मध्येथी जतो थको दझाय के केम ? .... .... .... १०९ ४ वैक्रियशरीरवाळो जीव अनिकायमध्येथी जतोयकोदझाय? १०९ ५ पृथ्वी वीगेरे पांच स्थावरकायने स्वामिओ इशे ? .... ११०
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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