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________________ (१६) ५४ स्नातकमुनिना जे पांचभेद कह्या छे ते शुं संभवे ? ९४ ५५ श्रीस्थूलभद्रजीनी पांचमी बेननुं नाम शुं ? .... ९४ ५६ श्रीपन्नवणासूत्रना कर्ता श्रीश्यामाचार्यजी श्रीसुधर्मास्वामि थी केटलामे पाटेछे ? .... .... .... ९५ ५७ श्रीश्यामाचार्यजी कया महाराजाना शिष्य जाणवा ९५ ५८ श्रीदेवगिणि क्षमाश्रमण पूर्वे कोण हता ?.... .... ५९ अजीवसंयम, तथा अजीवअसंयम ते शुं ?.... .... ९६ ६० अजीरूप पुस्तकादिकना ग्रहण परिभोगथी आरंभ सामारं___ भादि दोषो लागता हशे? .... .... .... ९६ ६१ पुस्तकादिक तो धर्मना उपकरण छे, एम कहीने ममत्त्वा दि भावथी जेओ पुस्तकादिकोनो संग्रह परिभोग करेछे, तेओने परिग्रहदोष लागतो हशे के केम ? ६२ मनना दंभनो त्याग कर्यो नथी ने तप, संयम, केश लो चादि धर्मकर्म करे तो ते फळे ? .... .... ९७ ६३ अनुक्रमे शुद्ध एवी अध्यात्मयोग क्रिया केटलेगुणठाणे होय ? ९८ ६४ कया जीवनी क्रिया अध्यात्मगुणवैरिणी जाणवी ? .... ९८ ६५ भवाभिनंदी जीव केवो होय ? :.... .... ६६ कया जीवनी क्रिया अध्यात्मगुणने वृद्धि करनारी जाणवी? ९९ ६७ समूछि मतिर्यश्चपञ्चेन्द्रिय जीवोने छेल्लु एक संहनन अने ____संस्थान होय के केम ? .... ६८ देवताओने दांत तथा केश होय ? ६९ मेरुपर्वतना चोथा पण्डक वनमा व्यन्तरना आवासा होय १०० ७० अनुत्तरविमानना देवो श्रीशत्रुजयतीर्थनी त्रिकरण यो___ गथी सेवाभक्ति करे ? . .... .... १०० ७१ देवताओने पांच पर्याप्ति कही तेनुं शुं कारण ? .... १०१
SR No.023171
Book TitleTrigranth Samuchhay Prashnottar Pradip Paryushanashthnika Vyakhyan Panchjin Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmivijay
PublisherBhogilal Kalidas Shah
Publication Year1909
Total Pages250
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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